बाबर, हुमायूं और अकबर... तीन-तीन बादशाहों के साथ रहने वाली मुगल शहजादी
मुगल काल के बादशाहों के बारे में जितना ज्यादा लिखा गया है और जितनी चर्चा की गई है, उतनी ही कम बातें मुगल शहजादियों के बारे में लोगों को पता हैं। इतिहास के कई पन्ने पलटेंगे तो किसी एक शहजादी का शायद जिक्र मिल जाए। हम ऐसी ही एक मुगल शहजादी गुलबदन के बारे में बात करेंगे, जो शायद अकेली मुगल शहजादी थीं, जो तीन मुगल बादशाहों के साथ रही हैं।
बाबर की बेटी थी गुलबदन
मुगल शहजादी गुलबदन बादशाह बाबर की बेटी थीं। वह बाबर के साथ ही भारत आईं। रिश्ते में वह बाबर के बेटे हुमायूं की सौतेली बहन और पोते अकबर की बुआ थीं।
6 साल की उम्र में आई थीं भारत
गुलबदन 6 साल की उम्र में काबुल से भारत आई थीं और दिल्ली में अपने पिता बाबर से मिली थीं।
बाबर की मौत के बाद हुमायूं के साथ रहीं
बाबर की मौत के बाद हुमायूं बादशाह बने। तब भी गुलबदन भारत में ही रहीं। वह एक इतिहासकार थीं, जिन्होंने बाबर के बाद हुमायूं के दरबार व अन्य बातों की जानकारी अपनी किताब में साझा की।
शेरशाह के हमले के बाद लाहौर चली गई थीं गुलबदन
शेरशाह सूरी ने जब हमला किया तो गुलबदन उनके भाई कामरान के साथ लाहौर चली गईं। गुलबदन जब तक लाहौर पहुंचीं, जब तक हुमायूं की हार हो गई थी, लेकिन वे जिंदा बच गए थे।
अकबर के समय में सबसे बुजुर्ग महिला
हुमायूं की मौत के बाद जब अकबर बाहशाह बने तो उनकी बुआ गुलबदन बानो फतेहपुर सीकरी में बने महल में रहने लगीं।
हज पर जाने वाली पहली मुगल महिला
गुलबदन बानो मुगल खानदान की पहली महिला थीं, जिन्होंने हज पर जाने का फैसला किया। अकबर ने उनके फैसले का समर्थन किया था।
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