अपने ही आरोप में उलझीं स्वाति मालीवाल, पिता पर लगाया था यौन शोषण का आरोप

हर चमक वाले चेहरे के पीछे की जिंदगी भी चमकदार हो जरूरी नहीं। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने जब कहा कि उनके पिता ने उनका यौन शोषण किया था तो हर कोई अवाक था। लेकिन उन्होंने कहा कि उस घटना के बाद वो कमजोर नहीं हुई बल्कि महिलाओं की लड़ाई को आगे बढ़ाएंगी। हालांकि कांग्रेस के नेता 2016 के मालीवाल के ट्वीट से घेरेबंदी कर रहे हैं।

पिता ने यौन शोषण किया
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'पिता ने यौन शोषण किया'

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने बताया कि जब वो चार वर्ष की थीं तभी उनका यौन शोषण हुआ। ऐसा करने वाला शख्स कोई और नहीं बल्कि उनके पिता थे। उनको दुख तो जरूर हुआ लेकिम महिलाओं के लिए कुछ अलग काम करने के लिए हौसला भी मिला।

यूपी में जन्म
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यूपी में जन्म

15 अक्टूबर 1984 को उनका जन्म यूपी के गाजियाबाद में हुआ था। एमिटी स्कूल नोएडा से पढ़ाई लिखाई हुई और जेएसएस एकेडमी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।

नजीब जंग से हुई थी तकरार
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नजीब जंग से हुई थी तकरार

दिल्ली महिला आयोग का अध्यक्ष बनने के बाद स्वाति मालीवाल ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन उप राज्यपाल नजीब जंग ने ऑफिस आने से मना कर दिया था। हालांकि उप राज्यपाल ने आरोपों को खारिज कर दिया था।

पक्षपात का आरोप लगा
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पक्षपात का आरोप लगा

2015 में जब स्वाति मालीवाल को दिल्ली महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया गया तो भाई भतीजावाद के आरोप भी लगे। इस तरह के आरोप लगे कि स्वाति सीएम अरविंद केजरीवाल के मां पक्ष से रिश्ते में लगते हैं।

जातिवादी टिप्पणी के आरोप लगे
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जातिवादी टिप्पणी के आरोप लगे

2018 में स्वाति पर एक परिवार ने आरोप लगाया था कि उसके खिलाफ जातिवादी टिप्पणी की है। दरअसल नशा के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत उनको जानकारी मिली थी कि एक परिवार घर के अंदर शराब बनाता है यह पूरा वाक्या उस समय का है।

थप्पड़ मारने के बाद आईं चर्चा में
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थप्पड़ मारने के बाद आईं चर्चा में

2022 में स्वाति मालीवाल ने एक आरोपी को थप्पड़ रसीद किया था। आरोपी पर खुद की पत्नी को जलाने का केस था। उन्होंने खुद उस तस्वीर को पोस्ट किया था जिसका सोशल मीडिया पर जमकर विरोध हुआ था।

2020 से रहती हैं अलग
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2020 से रहती हैं अलग

स्वाति मालीवाल ने नवीन जयहिंद से शादी की थी। लेकिन शादी लंबे समय तक नहीं टिकी। 2020 में दोनों के रास्ते अलग हो गए।

पीसीआरएफ का बनीं हिस्सा
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पीसीआरएफ का बनीं हिस्सा

2006 से 2013 तक इन्होंने पब्लिक रिसर्च कॉज फाउंडेशन के लिए काम किया था। इस फाउंडेशन का मकसद महिला सशक्तिकरण का था। 2008 से 2012 के दौरान उन्होंन संस्था में प्रशासनिक जिम्मेदारी भी निभाई थी।

सोशल कॉज में अव्वल भूमिका
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सोशल कॉज में अव्वल भूमिका

2007 में तेरहवें वित्त आयोग को आर्थिक सुधार की प्रक्रिया में कुछ अहम सुझाव भी दिए थे। 2008 में बिहार फ्लड के दौरान सक्रिय तौर पर काम कीं। उसके बाज 2009 में राइट टू इंफॉर्मेंशन अभियान से जुड़ गईं।

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