3 नए आपराधिक कानूनों के लागू होने से क्या बदल गया? अंग्रेजों के समय के कानून हुए खत्म

तीन नए आपराधिक कानून सोमवार से देशभर में लागू हो गए। दिल्ली में इसके तहत पहला केस भी दर्ज हो गया। इसके साथ ही भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव तो हुआ ही औपनिवेशिक काल के इन कानूनों का अंत हो गया।

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अंग्रेजों के समय के कानून बदल गए​

भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ब्रिटिश काल के क्रमश: भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लिया।

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नए प्रावधान हुए शामिल​

नए कानूनों से एक आधुनिक न्याय प्रणाली स्थापित होगी जिसमें ‘जीरो एफआईआर’, पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराना, ‘एसएमएस’ (मोबाइल फोन पर संदेश) के जरिये समन भेजने जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम और सभी जघन्य अपराधों के वारदात स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल हो गए।

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नया तंत्र ज्यादा प्रभावी​

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इन कानूनों में कुछ मौजूदा सामाजिक वास्तविकताओं और अपराधों से निपटने का प्रयास किया गया और संविधान में निहित आदर्शों को ध्यान में रखते हुए इनसे प्रभावी रूप से निपटने का एक तंत्र मुहैया कराया गया है।

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा​

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नये कानून न्याय मुहैया कराने को प्राथमिकता देंगे जबकि अंग्रेजों (देश पर ब्रिटिश शासन) के समय के कानूनों में दंडनीय कार्रवाई को प्राथमिकता दी गयी थी।

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​पूरी तरह भारतीय हैं कानून​

उन्होंने कहा, ‘इन कानूनों को भारतीयों ने, भारतीयों के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाया गया है तथा यह औपनिवेशिक काल के न्यायिक कानूनों का खात्मा करते हैं।’

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​फैसला 45 दिनों के भीतर आएगा​

नए कानूनों के तहत आपराधिक मामलों में फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के भीतर आएगा और पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय किए जाएंगे।