इस शहर में खुल गया एशिया का सबसे लंबा डबल-डेकर फ्लाईओवर, किसी इंजीनियरिंग के चमत्कार से कम नहीं

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को एशिया के सबसे लंबे डबल डेकर फ्लाईओवर का उद्घाटन किया। इसमें एशिया की पहली चार स्तरीय संरचना भी शामिल है। इसे एक तरह से इंजीनियरिंग का चमत्कार भी कहा जा सकता है जहां एक ही स्थान पर ट्रैफिक चार अलग-अलग माध्यम एकीकृत हो जाते हैं। इसकी खासियतें भी आपको सोचने पर मजबूर कर देगी कि भारत में किस तेजी से आधुनिक तकनीक के साथ सड़क नेटवर्क लगातार बढ़ रहा है।

एशिया का सबसे लंबा डबल डेकर फ्लाईओवर
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एशिया का सबसे लंबा डबल डेकर फ्लाईओवर

इस डबल डेकर फ्लाईओवर की सबसे बड़ी खासियत है कि सबसे ऊपर एक मेट्रो लाइन, उसके बाद एक फ्लाईओवर, उसके नीचे एक रेलवे ट्रैक और सबसे नीचे सड़क है। अब यात्रियों को 20 किमी (कैंपटी रोड से नागपुर हवाई अड्डे) दूरी तय करने में केवल 20 मिनट ही लगेंगे। मिलती है।

लागत 573 करोड़ रुपए
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लागत 573 करोड़ रुपए

897 करोड़ रुपए की लागत से बने इस फ्लाईओवर में केवल डबल डेकर ब्रिज की लागत 573 करोड़ रुपए है। यह फ्लाईओवर नागपुर के लोगों के लिए गेम-चेंजर साबित होगा और यहां की ट्रैफिक समस्याओं को काफी हद तक हल करेगा।

पांच मेट्रो स्टेशन बनाए गए
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पांच मेट्रो स्टेशन बनाए गए

5.6 किमी लंबाई वाला 4-लेन कामटी रोड ( Kamptee Road) डबल डेकर फ्लाईओवर सबसे लंबा सिंगल कॉलम पियर्स-सपोर्टेड डबल डेकर फ्लाईओवर है। आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से इस पर पांच मेट्रो स्टेशन बनाए गए हैं।

रिब और स्पाइन तकनीक का इस्तेमाल
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रिब और स्पाइन तकनीक का इस्तेमाल

फ्लाईओवर के भीतर प्राकृतिक रोशनी और हवा पर्याप्त मात्रा में प्रवेश कर सके, इस उद्येश्य से फ्लाईओवर के स्ट्रक्चर में रिब और स्पाइन तकनीक का उपयोग किया गया है, जो एक उन्नत तकनीक हैं। यह स्ट्रक्चर एक फ्लाईओवर और मेट्रो रूट को जोड़ता है।

पहली बार 1650 टन का स्टील ब्रिज तैयार
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पहली बार 1650 टन का स्टील ब्रिज तैयार

इससे एक चार लेयर का ट्रांसपोर्ट सिस्टम बनता है। इसके पहले लेवल पर हाईवे फ्लाईओवर है, दूसरे लेवल पर मेट्रो चलती है वही ग्राउंड लेवल पर पहले से मौजूद हाईवे है। गड्डीगोदाम के पास 1650 टन क्षमता का स्टील ब्रिज तैयार कर लगाया गया है। इतने वजन क्षमता वाले ब्रिज का निर्माण शहरी क्षेत्र में पहली बार हुआ है।

इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना
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इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना

एशिया में पहली बार बने इंजीनियरिंग के इस अद्भूत नमुने को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज कराने की प्रक्रिया जारी है। यह परियोजना नागपुर-जबलपुर राजमार्ग पर यात्रा करने वाले यात्रियों को राहत देगी। यात्री बिना किसी रुकावट के सीधे अपने गंतव्य तक पहुंच सकेंगे। और पढ़ें

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