एक स्टेशन एक उत्पाद- PM मोदी के सपने को साकार कर रहा रेलवे, खुल रहे रोजगार के नए द्वार

भारतीय रेलवे की 'वन स्टेशन वन प्रोडक्ट' का मुख्य उद्देश्य है कि लोकल प्रोडक्ट का प्रचार हो और उसका देश भर में बिक्री बढ़े। रेलवे स्टेशन एक ऐसी जगह है, जहां से देश-विदेश के लोग गुजरते हैं। यहां पर लोकल प्रोडक्ट के स्टॉल रहने से लोगों को उसके बारे में जानकारी मिलेगी और स्थानीय स्तर पर रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।

पीएम मोदी का सपना
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पीएम मोदी का सपना

'वन स्टेशन वन प्रोडक्ट' (OSOP) योजना पीएम मोदी का सपना था। पीएम मोदी हमेशा से ही लोकल प्रोडक्ट को मार्केट में तजरीह देने के समर्थक रहे हैं। आज की तारीख में 572 OSOP आउटलेट्स, देश भर के 535 रेलवे स्टेशनों पर चल रहे हैं।

क्या है उद्देश्य
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क्या है उद्देश्य

मोदी सरकार ने केंद्रीय बजट 2022-23 में 'वन स्टेशन वन प्रोडक्ट' की अवधारणा की घोषणा की थी। इस योजना का उद्देश्य प्रत्येक रेलवे स्टेशन को एक प्रचार केंद्र के रूप में बनाना है। जहां स्थानीय और स्वदेशी उत्पादों को जगह मिल सके, उसका प्रचार-प्रसार और बिक्री हो सके।

वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा
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वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा

OSOP योजना 'वोकल फॉर लोकल' को बढ़ावा देने के विजन के साथ शुरू की गई है। इससे स्थानीय व्यापारियों को अपना उत्पाद बेचने में मदद मिलेगी और समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों के लिए आय के अतिरिक्त अवसर सृजित होंगे। योजना के तहत, सभी पात्र आवेदकों को रोटेशन के आधार पर स्टॉल का आवंटन किया जाता है।

किसे हो रहा फायदा
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किसे हो रहा फायदा

OSOP योजना से स्थानीय कारीगरों, कुम्हारों, बुनकरों और आदिवासियों को काफी फायदा हो रहा है। इसके तहत पात्र आवेदक को रेलवे के पास 1,000 रुपये जमा करने पर 15 दिनों की अवधि के लिए एक अस्थायी स्टॉल या कियोस्क आवंटित किया जाता है।

प्रोडक्ट में क्या-क्या शामिल
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प्रोडक्ट में क्या-क्या शामिल

इन स्टॉल्स पर लोकल खाने के आइटम, हस्तशिल्प, कलाकृतियां, कपड़ा, हथकरघा, पारंपरिक वस्त्र, स्थानीय कृषि उत्पाद, स्थानीय खिलौने, चर्म उत्पाद, स्थानीय रत्न और आभूषण को बेचा जा सकता है।

यात्रियों को भी फायदा
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यात्रियों को भी फायदा

मोदी सरकार की इस योजना से यात्रियों को भी काफी फायदा हो रहा है। जिन प्रोडक्ट्स के लिए उन्हें शहर के अंदर भटकना पड़ता था, जाना पड़ता था, वो अब उन्हें स्टेशन पर ही मिल जा रहे हैं। अब उन्हें आसानी से वो प्रोडक्ट मिल रहा है, जिसकी तलाश उन्हें करनी पड़ती थी।

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