CBI के कितने मामले अदालतों में हैं पेंडिंग? रिपोर्ट में आंकड़ों का हुआ खुलासा

Central Bureau of Investigation: सीवीसी रिपोर्ट में बताया गया है कि सीबीआई जांच वाले 6,900 से अधिक मामले अदालतों में लंबित हैं। इसमें 361 मामले 20 साल से अधिक पुराने हैं। आपको बताते हैं कि इस रिपोर्ट में किन-किन आंकड़ों का खुलासा हुआ है।

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6,900 से अधिक मामले कोर्ट में हैं पेंडिंग

केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की ताजा वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार भ्रष्टाचार के, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच वाले 6,900 से अधिक मामले विभिन्न अदालतों में लंबित थे, जिनमें से 361 मामले 20 वर्षों से अधिक पुराने थे।और पढ़ें

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सीवीसी रिपोर्ट में सामने आए ये आंकड़े

सीबीआई जांच के लिए लंबित 658 मामलों में 48 पांच साल से अधिक समय से लंबित थे। सीवीसी ने बताया कि 31 दिसंबर 2023 तक अदालतों में विचाराधीन कुल 6,903 मामलों में से 1,379 मामले तीन साल से कम समय से, 875 मामले तीन साल से अधिक और पांच साल तक तथा 2,188 मामले पांच साल से अधिक समय तक और दस साल तक लंबित थे।और पढ़ें

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अदालतों में लंबित हैं पुनर्विचार याचिकाएं

आयोग की रिपोर्ट के अनुसार सीबीआई और आरोपियों द्वारा दायर 12,773 अपील या पुनर्विचार याचिकाएं विभिन्न उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं। हाल ही में सार्वजनिक की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से 501 मामले 20 वर्ष से अधिक समय से, 1,138 मामले 15 वर्ष से अधिक लेकिन 20 वर्ष से कम समय से, 2,558 मामले 10 वर्ष से अधिक लेकिन 15 वर्ष से कम समय से, 3,850 मामले पांच वर्ष से अधिक लेकिन 10 वर्ष से कम समय से, 2,172 मामले दो वर्ष से अधिक लेकिन पांच वर्ष से कम समय से तथा 2,554 मामले दो वर्ष से कम समय से लंबित थे।और पढ़ें

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मामलों का ब्यौरा देते हुए रिपोर्ट में खुलासा

सीबीआई की जांच के लिए लंबित 658 मामलों का ब्यौरा देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि 48 मामले पांच साल से अधिक समय से लंबित थे, 74 मामले तीन साल से अधिक लेकिन पांच साल से कम समय से लंबित थे, 75 मामले दो साल से अधिक लेकिन तीन साल से कम समय से लंबित थे, 175 मामले एक साल से अधिक लेकिन दो साल से कम समय से लंबित थे और 286 मामले एक साल से कम समय से लंबित थे।और पढ़ें

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जांच पूरी होने में कुछ देरी का पता चला

आयोग ने कहा, 'सीबीआई से मामला दर्ज होने के एक साल के भीतर जांच पूरी करने की अपेक्षा की जाती है। जांच पूरी होने का तात्पर्य यह होता है कि यदि आवश्यक हो तो सक्षम प्राधिकारी से मंजूरी प्राप्त करने के बाद, जहां भी आवश्यक हो, न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया जाएगा।' रिपोर्ट के अनुसार, कुछ मामलों में जांच पूरी होने में कुछ देरी का पता चला है।और पढ़ें

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सीबीआई में खाली थे 1,610 पद

जांच पूरी होने में देरी के कारणों में ‘अत्यधिक काम की वजह से देरी’, ‘अपर्याप्त श्रमशक्ति’, ‘अनुरोध पत्रों में जवाब प्राप्त करने में देरी’ और ‘सक्षम प्राधिकारियों द्वारा अभियोजन की स्वीकृति देने में देरी’ शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार 31 दिसंबर, 2023 की स्थिति के अनुसार सीबीआई में 1,610 खाली पद थे, जबकि इसमें स्वीकृत पदों की संख्या 7,295 थी।और पढ़ें