छह पंखों से उड़ने वाला वो शक्तिशाली हेलीकॉप्टर, जो तोप को भी खिलौने की तरह हवा में लेता है उठा
आज की तारीख में जंग वही जीत सकता है जिसके पास आधुनिक हथियार के साथ-साथ उसे जल्द से जल्द दुश्मन के खिलाफ उतारने की क्षमता हो। यही कारण है कि अब सेना के पास ऐसे-ऐसे विमान और हेलीकॉप्टर आने लगे हैं, जो सैनिकों के साथ-साथ, टैंक, तोप, गाड़ियां कुछ ही घंटों में वॉर जोन में उतराने में सक्षम हैं। ऐसा ही एक हेलीकॉप्ट है चिनूक (H-47 Chinook), जो इतना शक्तिशाली है कि वो तोप, जीप, रसद, जैसी कई भारी चीजें हवा में लटकाकर चला जाता है। इसके लिए उसे लैंड करने की भी जरूरत नहीं पड़ती।
कितना शक्तिशाली है चिनूक
चिनूक को दुनिया का सबसे तेज़ सैन्य हेलीकॉप्टर माना जाता है जिसकी अधिकतम गति 315 किमी/घंटा (196 मील प्रति घंटा) है। टेंडेम रोटर डिज़ाइन में स्थिरता और नियंत्रण में वृद्धि, अधिकतम चपलता, लोडिंग और अनलोडिंग में आसानी और हवा में बेहतर प्रदर्शन शामिल है। चिनूक वहां काम कर सकता है जहां अन्य नहीं कर सकते। इसका डिज़ाइन चिनूक को 20,000 फीट तक उड़ान भरने की अनुमति देता है, जो इस वर्ग के अन्य हेलीकॉप्टरों की तुलना में अधिक है।और पढ़ें
पसंदीदा हेवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टर है चिनूक
एच-47 चिनूक अमेरिकी सेना और 20 अन्य देशों के लिए पसंदीदा हेवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टर है। यह एक उन्नत, बहु-मिशन, टेंडम रोटर हेलीकॉप्टर है, जो कार्गो और सैन्य परिवहन, खोज और बचाव, हताहतों को निकालने, विशेष अभियानों, मानवीय और आपदा राहत, और बहुत कुछ में सिद्ध है। कम समय में बहुत अधिक दूरी तय करने वाले एच-47 चिनूक को विस्तारित रेंज वाले ईंधन टैंकों से सुसज्जित किया जा सकता है तथा हवा से हवा में ईंधन भरने की क्षमता से सुसज्जित किया जा सकता है, जिसका अर्थ है कि चिनूक पहले से कहीं अधिक दूरी तक उड़ान भर सकता है।और पढ़ें
भारत के पास कितने चिनूक
देश के उत्तरी और पूर्वोत्तर भागों की परिचालन आवश्यकताओं का ख्याल रखने के लिए भारत के पास चंडीगढ़ और असम में 15 चिनूक हेलीकॉप्टर हैं। भारत को फरवरी 2019 में चिनूक हेलीकॉप्टरों का पहला बैच मिला था। भारत इनमें से कुछ को लद्दाख में भी तैनात कर रखा है।
क्या-क्या उठा सकता है चिनूक
चिनूक हेलीकॉप्टर सैनिकों को एक जगह से दूसरी जगह तो ले ही जा सकता है। इसके अलावा सेना के लिए हथियार, छोटी गाड़ियां और रसद को भी ले जा सकता है। मुख्य केबिन में 33 पूरी तरह सुसज्जित सैनिक रह सकते हैं। चिकित्सा निकासी के लिए, केबिन में 24 लिटर (स्ट्रेचर) रखे जा सकते हैं। यह तोप को भी उठाकर एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकता है। चिनूक का उपयोग सैनिकों, तोपखाने, रसद और उपकरणों को युद्ध के मैदान में ले जाने के लिए किया जाता है।और पढ़ें
इसरो के लिए काम का है चिनूक
चिनूक सिर्फ सेना के लिए ही नहीं बल्कि इसरो के लिए काम का है। कुछ टेस्ट में इसरो इसका प्रयोग कर चुका है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी प्रदर्शन कार्यक्रम के दौरान परीक्षण वाहनों को हवाई मार्ग से उतारने के लिए चिनूक का उपयोग किया है।
भारतीय सेना के लिए कितना अहम है चिनूक
चिनूक एक ऐसा हेलीकॉप्टर है, जो किसी भी मौसम में और किसी भी इलाके में उड़ान भरने में सक्षम है। जिस हिमालय रेंज में आम हेलीकॉप्टर सही तरह से काम नहीं कर सकते, वहां चिनूक आराम से मिशन को अंजाम देकर चला जाता है। चिनूक हिमालय की ऊँचाई और विषम परिस्थितियों के लिए उपयुक्त हैं। चिनूक का उपयोग चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर तैनात भारतीय बलों की सहायता के लिए किया गया है।और पढ़ें
किन-किन हथियारों से लैस है चिनूक
चिनूक सालों से सेना की सेवा में है। अमेरिका ने इसका प्रयोग वियतनाम वॉरे से लेकर अफगानिस्तान तक में किया है। छह पंखों पर यह हेलीकॉप्ट कई हथियारों से लैस रहता है। ताकि दुश्मन को आसानी से मार गिरा सके। यह दो 7.62 मिमी एम134 मिनीगन और दो एम240 7.62 मिमी मशीन गन से लैस है।
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