सांसद नहीं बंगला नहीं, फिर कैसे लालकृष्ण आडवाणी- मुरली मनोहर जोशी हैं काबिज
लुटियंस दिल्ली में बंगला होना बड़े ओहदे के तौर पर देखा जाता है। इस इलाके में सरकारी बंगले हैं जो मंत्रियों, सांसदों और बड़े अधिकारियों को आवंटित किए जाते हैं। हाल में जब राहुल गांधी को दोषी करार दिए जाने के बाद सांसदी के लिए भी अयोग्य माना गया तो उनसे तुगलक लेन स्थित बंगले को भी खाली करने के लिए कहा गया। अब यहीं से विवाद शुरू हुआ कि ऐसे भी लोग हैं जो सांसद नहीं होते हुए भी बंगलों पर काबिज हैं।
राहुल गांधी
मोदी सरनेम मामले में सूरत की कोर्ट द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद राहुल गांधी को सांसदीय से भी अयोग्य घोषित किया गया। इस समय वो पूर्व सांसद और कांग्रेस के नेता हैं।
बंगला खाली करने के लिए नोटिस
सांसदी से अयोग्य घोषित किए जाने के बाद राहुल गांधी से बंगला भी खाली करने के लिए कहा गया है। इसके लिए उन्हें करीब 25 दिन का समय मिला है। सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने तीखी आलोचना की थी।
लालकृष्ण आडवाणी
लालकृष्ण आडवाणी बीजेपी के कद्दावर नेता हैं। लेकिन 2019 से वो सांसद नहीं है, लिहाजा उनके पास सरकारी बंगला नहीं होना चाहिए। लेकिन सुरक्षा वजहों से उनसे बंगला खाली नहीं कराया गया है।
मुरली मनोहर जोशी
लालकृष्ण आडवाणी की तरह मुरली मनोहर जोशी में सांसद नहीं हैं। लेकिन सुरक्षा वजहों से उनसे भी सरकारी बंगला नहीं खाली कराया गया है।
एम एस बिट्टा
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एम एस बिट्टा जाना पहचाना चेहरा हैं। वैसे तो वो भी सांसद नहीं हैं। लेकिन सुरक्षा का हवाला देते हुए उनसे भी बंगला नहीं खाली कराया गया है।
करीब 1 हजार बंगले
लुटियंस दिल्ली में 1000 के करीब बंगले है, इन बंगलों को मंत्रियों, सांसदों, अधिकारियों को आवंटित किया जाता है। बंगला अलॉट होने की प्रक्रिया में संपदा विभाग करता है और इसकी देखभाल की जिम्मेदारी भी इसी विभाग की होती है।
बंगलों की आठ कैटिगरी
कुल आठ टाइप के बंगले हैं, जिन्हें, टाइप-1, टाइप-2, टाइप-3, टाइप-4, टाइप-5, टाइप-6, टाइप-7 और टाइप-8 नाम से जाना जाता है। टाइप-4 बंगले को अधिकारियों को दिया जाता है। जबकि टाइप-7 और टाइप-8 वरिष्ठ सांसदों और मंत्रियों को मिलता है।
पहले भी होता रहा है विवाद
दिल्ली में सरकारी बंगलों को खाली करने के मुद्दे पर पहले भी विवाद होता रहा है। विपक्ष में रहने वाला हर दल पक्षपात का आरोप लगाता रहा है।
संसद में हंगामा
राहुल गांधी को जब बंगला खाली करने का नोटिस भेजा गया तो कांग्रेस की तरफ से सवाल खड़े किए गए। सरकार ने साफ किया कि कार्रवाई नियमों के तहत है, कांग्रेस के नेताओं को तो अब बिना तथ्य बात करने की आदत पड़ चुकी है।
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