चार दशक बाद जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार खोलने की तैयारी, क्या मिलेगा देश का सबसे बड़ा खजाना?
Ratna Bhandar of Lord Jagannath Temple: ओडिशा के पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को खोलने की तैयारी पूरी हो गई है। हाई कोर्ट जज के नेतृत्व में बनी समिति ने मंदिर के खजाने को खोलने की प्रक्रिया तेज कर दी है। करीब चार दशक बाद रत्न भंडार का दरवाजा खोला जाएगा। रत्न भंडार खुलने पर देश का सबसे बड़ा खजाना मिलेगा या चाबी खोने के कारण कोई नई बात सामने आएगी, इसे लेकर सभी उत्सुक हैं।
Updated Jul 10, 2024 | 03:45 PM IST
आखिरी बार 1985 में खुला था दरवाजा
आखिरी बार इसका दरवाजा 1985 में खुला था लेकिन तब सिर्फ मरम्मत की गई थी। रत्न भंडार में मौजूद खजाने का लेखा-जोखा आखिरी बार 1978 में लिया गया था। जस्टिस बिस्वनाथ रथ ने बताया कि जैसे ही रत्न भंडार खुलेगा तब खजाने की गिनती होगी।
12वीं सदी के मंदिर में बना था रत्न भंडार
चार धामों में से एक जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था। कलिंग वास्तुकला के आधार पर बने इस मंदिर में एक रत्न भंडार भी बनाया गया था।
जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा के गहने
बताते हैं कि इसी रत्न भंडार में जगन्नाथ मंदिर के तीनों देवताओं जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा के गहने रखे गए हैं। कई राजाओं और भक्तों ने भगवान को जेवरात चढ़ाए थे जिनके यही पर होने की संभावना है।
भीतरी भंडार की चाबी छह साल से गायब
हालांकि रत्न भंडार का बाहरी हिस्सा खुला है, लेकिन भीतरी भंडार की चाबी पिछले छह साल से गायब है। रत्न भंडार को आखिरी बार 14 जुलाई 1985 में खोला गया था और उसमें रखे जेवरात की सूची बनाई गई थी।
जेवरातों की कीमत अरबों में होने की संभावना
दान में मिले जेवरों को रत्न भंडार में रखा जाता था। इस रत्न भंडार में मौजूद हीरे-जवाहरातों की कीमत अरबों में बताई जाती है। अगर रत्न भंडार खुला तो यहां एक बड़ा खजाना मिलने की पूरी संभावना है।
रत्न भंडार दो भागों में बंटा हुआ
जगन्नाथ मंदिर का यह रत्न भंडार दो भागों में बंटा हुआ है, भीतर भंडार और बाहर भंडार.बाहरी भंडार में भगवान को अक्सर पहनाए जाने वाले जेवरात रखे जाते हैं। वहीं जो जेवरात उपयोग में नहीं लाए जाते हैं, उन्हें भीतरी भंडार में रखा जाता है।
पीएम मोदी ने उठाया था मुद्दा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओडिशा में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान पुरी में जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने के बाद रत्न भंडार का जिक्र किया था। उन्होंने कहा कि जगन्नाथ मंदिर सुरक्षित नहीं है। मंदिर के रत्न भंडार की चाबी पिछले 6 साल से गायब है। उन्होंने चाबी को तमिलनाडु भेजे जाने का भी जिक्र किया था।
आभूषणों की सूची बनाने में समय लगेगा
रथ ने कहा, इस बात पर सर्वसम्मति बनी कि रत्न भंडार की मरम्मत के दौरान भगवान जगन्नाथ के आभूषण और अन्य मूल्यवान वस्तुओं को मंदिर परिसर में एक निर्दिष्ट स्थान पर स्थानांतरित कर दिया जाएगा। समिति के अध्यक्ष ने कहा कि आभूषणों की सूची बनाने में समय लगेगा, इसलिए राज्य सरकार को संसाधन संबंधी सभी तरह की सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, हम आभूषणों की प्रकृति, स्वरूप और वजन की जांच करेंगे।
रत्न भंडार बना था सियासी मुद्दा
रत्न भंडार को आखिरी बार 46 साल पहले 1978 में खोला गया था। हाल में संपन्न लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान मंदिर के रत्न भंडार को फिर से खोलना राज्य में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा था।
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