Sai Baba: जिन्हें देश भर में पूजते हैं हिंदू और मुसलमान, वो शिरडी वाले बाबा संत-फकीर हैं या अवतार? जानिए

Who was Shirdi Sai Baba: साईं बाबा कौन है...क्या वह भगवान हैं? यह बहस फिर से तब छिड़ गई, जब मध्य प्रदेश में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की शिरडी वाले बाबा पर टिपप्णी आई। उन्होंने एक श्रद्धालु के सवाल के जवाब में दो टूक कहा, "साईं संत हो सकते हैं, फकीर हो सकते हैं, मगर वह भगवान नहीं हो सकते। गीदड़ की खाल पहन लेने से कोई शेर नहीं बन जाता।" वैसे, इससे पहले भी उन्होंने साईं पर हुए एक प्रश्न में कहा था कि क्या अपने धर्म के महापुरुष कम पड़ गए हैं? बहरहाल, साईं को लेकर लोगों के अलग-अलग मत और आस्थाएं हो सकते हैं, मगर साईं के बारे में जो बातें कहीं जाती हैं, क्या आप उनसे वाकिफ हैं? आइए, जानते हैं:

साईं बाबा को लेकर हैं अलग-अलग मत
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साईं बाबा को लेकर हैं अलग-अलग मत

साईं बाबा मौजूदा समय में किसी के लिए संत हैं तो कोई उन्हें महापुरुष मानता है। कुछ लोग उन्हें फकीर बताते हैं, जबकि कुछ भगवान के रूप में पूजते हैं। भारत में हिंदू और मुसलमानों के साथ उन्होंने दुनिया के कई मुल्कों में रहने वाले प्रवासी समुदाय मानते हैं।

क्या है साईं का मतलब
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क्या है साईं का मतलब?

साईं का मतलब साक्षात ईश्वर होता है। वह मूल रूप से महाराष्ट्र के शिरडी से ताल्लुक रखते थे और बाबा को हिंदुस्तान के महानतम संतों में गिना जाता है।

जब 16 साल के थे तब पहुंचे थे शिरडी
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जब 16 साल के थे तब पहुंचे थे शिरडी

"सबका मालिक एक" की बात करने वाले साईं शिरडी में पहली दफा तब देखे गए थे, जब वह 16 साल के थे। हालांकि, उनके शुरुआती जीवन को लेकर आज भी अधिकतर चीजें रहस्य हैं और वे कौतुहल का विषय है।

फकीर ने ले लिया था गोद- मान्यता
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फकीर ने ले लिया था गोद- मान्यता

ऐसा कहा जाता है कि साईं का जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था, जिसके बाद उन्हें किसी सूफी फकीर या फिर भिक्षुक ने गोद ले लिया था। यह भी दावा किया जाता है कि आगे चलकर वह हिंदू गुरु बन गए।

जीवन के अंतिम दौर तक शिरडी में ही रहे
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जीवन के अंतिम दौर तक शिरडी में ही रहे

साईं 1858 के आसपास शिरडी पहुंचे थे और अपने जीवन के अंतिम समय (1918) तक वहीं रहे। साईं बाबा को लेकर लोगों में यह विश्वास ही है, जो आज शिरडी को उनके बड़े पवित्र स्थल के रूप में देखा जाता है।

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