भारत के इस द्वीप को माना जाता है दुनिया का सबसे खतरनाक आइलैंड, पर्यटकों के आने पर लगी हुई है पाबंदी
हर शख्स आइलैंड की सैर करना चाहता है, लेकिन क्या आप भारत में मौजूद एक ऐसे द्वीप के बारे में जानते हैं जिसे दुनिया का सबसे खतरनाक द्वीप माना जाता है, चलिए आज आप को इस द्वीप के बारे में बताते है...
नॉर्थ सैंटिनल आइलैंड
दुनिया के सबसे खतरनाक द्वीपों में से एक भारत द्वीप में मौजूद हैं। इस द्वीप की स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां पर्यटकों के आने पर भी पूर्ण पाबंदी लगी हुई है। दरअसल हम हिंद महासागर में मौजूद सबसे अलग-थलग द्वीप नॉर्थ सैंटिनल आइलैंड (North Sentinel Island) की बात कर रहे हैं।
अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह
नॉर्थ सैंटिनल आइलैंड भारत से सुदूर स्थित अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में आता है, जो भारत ही नहीं बल्कि धरती का सबसे खतरनाक द्वीप माना जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस द्वीप के 3 मील के दायरे में जाना अवैध माना जाता है। इस अछूते द्वीप का एक अलग इतिहास भी रहा है।
पर्यटकों को जानें की हैं मनाही
नॉर्थ सैंटिनल द्वीप पर आने वाले पर्यटक अक्सर सेंटिनली लोगों के तीरों की बौछार का सामना करते हैं और मारे जाते हैं। इस द्वीप पर कोई जाता नहीं इसलिए इसके बारे किसी को ज्यादा जानकारी भी नहीं है। दरअसल यहां रहने वाले लोग बाहरी लोगों का हस्तक्षेप बिल्कुल पंसद नहीं करते, इसलिए जो यहां आता है उसे ये मार गिराते हैं। यही वजह है कि यहां जाने से भी लोगों को रोक दिया जाता है।और पढ़ें
मौरिस विडाल पोर्टमैन
1879 में ब्रिटिश नौसेना अधिकारी मौरिस विडाल पोर्टमैन को अंडमान का प्रभारी अधिकारी बनाया गया था। वह दो दशकों से ज्यादा समय तक क्षेत्र में जनजातियों के दस्तावेजीकरण के लिए जिम्मेदार थे। उनकी भूमिका क्षेत्र में समुदायों को सभ्य बनाने की थी, भले ही इसके लिए बल प्रयोग ही क्यों न करना पड़े। 1880 में उन्होंने उत्तरी सेंटिनल द्वीप की यात्रा की। उनके लोगों ने छह द्वीपवासियों- एक बुजुर्ग पुरुष, महिला और चार बच्चों को पकड़ लिया। उन्हें कथित विज्ञान प्रयोग के लिए वह पोर्ट ब्लेयर ले आए।और पढ़ें
द्वीप
मौरिस विडाल पोर्टमैन ने कहा कि द्वीप से लाए गए लोग जल्द ही ऐसी बीमारी की चपेट में आ गए थे जिसका उन्होंने पहले कभी भी सामना नहीं किया था। वे तेजी से बीमार होने लगे। पुरुष और महिला दोनों की मौत हो गई। जबकि बच्चों को वापस द्वीप पर ले जाया गया। उन्हें द्वीप पर तब छोड़ा गया जब वे संक्रमित थे। बच्चों के जरिए फैला संक्रमण उनके लिए जानलेवा साबित हुई। मानव अधिकार संगठन सर्वाइवल इंटरनेशनल का कहना है कि जनजातियों में अधिकांश शत्रुता और नए लोगों के प्रति डर के लिए पोर्टमैन की यात्राओं को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।और पढ़ें
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