मृत्यु को 'जीते' हैं Mahakal, कहलाते हैं 'कालों के काल': जानिए भगवान Shiva के इस दिव्य स्वरूप के बारे में
Mahakaleshwar Temple: महाकाल...जैसे 'महादेव' अलौकिक हैं, वैसे ही उनका यह स्वरूप कालजयी है। यह भगवान शिव का सबसे शक्तिशाली रूप माना जाता है, जिसे समय के साथ काल का भी स्वामी कहा जाता है। कहते हैं कि यह स्वरूप काल अर्थात समय पर नियंत्रण करता है। आइए, जानते हैं श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी रोचक बातें:
12 ज्योतिर्लिंगों से एक हैं महाकाल
भगवान शिव के भारत में 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर भी शामिल हैं। वह स्वयंभू (खुद अवतरित हुए) माने जाते हैं।
'काल 'के हैं अधिष्ठाता देव
महाकाल बाबा को "काल" का भी अधिष्ठाता देव जाता है। पुराणों की मानें तो वे भूतभावन मृत्युंजय हैं, सनातन देवाधिदेव-महादेव हैं।
उज्जैन में है बाबा का यह पवित्र धाम
शिव जी का यह प्राचीन मंदिर (महाकाल लोक या महाकाल कॉरिडोर) मध्य प्रदेश के इंदौर से सटे उज्जैन (अवंतिका) में है।
शिवलिंग का यूं रोज होता है भव्य श्रृंगार
श्री महालाकेश्वर की महिमा के चलते यह शहर 'महाकाल की नगरी' कहलाता है। उज्जैन ही नहीं बल्कि देश के मुख्य देवस्थानों में श्री महाकालेश्वर मन्दिर अपना खास स्थान है।
'पृथ्वी पर महाकालेश्वर ही मान्य शिवलिंग'
ऐसी मान्यता है कि "आकाश में तारक लिंग है, पाताल में हाटकेश्वर लिंग है और पृथ्वी पर महाकालेश्वर ही मान्य शिवलिंग है"।
जहां महाकाल, वहीं पृथ्वी की नाभि
यह भी कहा जाता है कि जहां महाकाल स्थित हैं, वही पृथ्वी का नाभि स्थान है। वहीं धरा का केंद्र है- नाभिदेशे महाकालोस्तन्नाम्ना तत्र वै हर:।
बाबा ही उज्जैन के राजा, रात में और कोई...
महाकाल बाबा इस मंदिर/नगरी में राजा के स्वरूप में विराजे हुए हैं। ऐसे में माना जाता है वहां कोई दूसरा राजा रात्रि विश्राम नहीं करता है।
महाकाल में है बाबा का निराकार रूप
महाकाल बाबा की निष्काल या निराकार रूप में पूजा होती है और सकल या फिर साकार स्वरूप में नगरी में सवारी (सावन महीने में) निकलती है।
यही है इकलौती दक्षिणमुखी शिवलिंग
भारत के सभी प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों में सिर्फ महाकाल ही दक्षिणमुखी शिविलंग है। ऐसा इसलिए, क्योंकि मृत्यु की दिशा दक्षिण मानी जाती है।
अकाल मृत्यु से बचने को लोग पूजते हैं इन्हें
सबसे रोचक यह बात है कि अकाल मृत्यु से बचने के लिए श्रद्धालु महाकालेश्वर बाबा की पूजा-अर्चना करते हैं।
सिर्फ यहीं पर होती है भस्म आरती
चूंकि, मृत्यु का चिह्न राख (वैराग्य, मृत्यु और मोक्ष का प्रतीक चिह्न) होती है। ऐसे में महाकाल मंदिर में बाबा की "भस्म" से आरती होती है और यही इकलौता मंदिर है, जहां इस तरह की आरती होती है। ऐसा माना जाता है कि महाकाल के दर्शन मात्र से मृत्यु का डर खत्म हो जाता है। मोक्ष की चाहत रखने वालों के लिए यह मंदिर महत्व रखता है। और पढ़ें
हवा में भी 7-स्टार सवारी से चलते हैं मुकेश अंबानी, कीमत 1,000 करोड़
चाहिए पहाड़ी घोड़े जैसी ताकत तो आज ही खाना शुरू कर दें काजू बादाम का बाप, कहलाएं अपने मोहल्ले के 'खली'
Petrol Price: अमेरिका में कितने का मिलता है एक लीटर पेट्रोल, भारत से सस्ता या महंगा
बाल कटवाने या दाढ़ी बनवाने के लिए कौन सा दिन होता है शुभ?
चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में ऐसी हो सकती है भारत की सबसे मजबूत प्लेइंग 11
Aaj ka Toss Kaun Jeeta SL vs NZ 2nd T20: आज का टॉस कौन जीता, श्रीलंका बनाम न्यूजीलैंड
Kishtwar Encounter: जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ में एनकाउंटर, एक पैरा ट्रूपर शहीद, 3 जवान घायल
EV चार्जिंग स्टेशन स्थापित करेगी यूपी सरकार, पर्यावरण और स्वच्छ परिवहन को मिलेगा बढ़ावा
Kareena के लाडले जेह ने Saif से नजरे चुराते हुए नन्हे हाथों से बटोर ली 4-5 चॉकलेट्स, पिता ने देखते ही किया ये काम
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सीईएसएल के ‘ईवी एज ए सर्विस’ प्रोग्राम का अनावरण किया
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited