Siachen Day: भारतीय सेना ने कैसे दिया था सियाचिन में ऑपरेशन मेघदूत को अंजाम, हक्का-बक्का रह गया था पाकिस्तान
Operation Meghdoot: भारतीय सेना हर साल 13 अप्रैल को सियाचिन दिवस मनाती है। यह दिन "ऑपरेशन मेघदूत" के तहत भारतीय सेना के साहस को याद करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन अपनी मातृभूमि की सेवा करने वाले सियाचिन योद्धाओं को भी सम्मानित किया जाता है। हर साल भारतीय सेना दुनिया के सबसे ठंडे और सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन पर कब्जा करने और इसे सुरक्षित रखने वाले जवानों के साहस को याद करती है। जानिए इस दिन भारतीय सेना ने कैसे दिया था ऑपरेशन मेघदूत को अंजाम।

13 अप्रैल 1984 को ऑपरेशन मेघदूत शुरू
सियाचिन को हथियाने की नापाक साजिश रच रहे पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारतीय सेना ने 13 अप्रैल 1984 को 'ऑपरेशन मेघदूत' शुरू किया था। साहस और बहादुरी के अकल्पनीय कारनामे को अंजाम देते हुए भारतीय सेना ने साल्टोरो रिज, सिया ला और बिलाफोंड ला के मुख्य दर्रों की प्रमुख चोटियों पर नियंत्रण हासिल कर सियाचिन पर कब्जा जमा लिया। इसमें भारतीय वायुसेना ने अहम भूमिका निभाई।

पहली बार उतरा चेतक हेलीकॉप्टर
सियाचिन ग्लेशियर में सेना ने इस ऑपरेशन को तब शुरू किया था, जब पाकिस्तान इस पर कब्जा करना चाहता था। मौजूदा समय में यहां राफेल, सुखोई-30 एमकेआई, चिनूक, अपाचे, एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच), लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) प्रचंड, मिग-29, मिराज -2000, सी-17, सी-130 जे, आईएल-76 और एएन-32 तैनात हैं। औपचारिक तौर पर यह ऑपरेशन 1984 में शुरू हुआ था, लेकिन भारतीय वायु सेना के कई हेलीकॉप्टर 1978 से ही सियाचिन ग्लेशियर में तैनात थे। अक्टूबर 1978 में इस ग्लेशियर में भारतीय वायुसेना का पहला हेलीकॉप्टर चेतक उतरा था।

पाकिस्तान का मंसूबा नाकाम
इस ऑपरेशन की याद आज भी पाकिस्तान को सहमा देती होगी। भारत की कार्रवाई से पाकिस्तान हक्का बक्का रह गया और उसकी नापाक साजिश नाकाम हो गई। साल 1984 तक आते-आते लद्दाख के इलाकों में पाकिस्तान ने तथ्यात्मक हेरफेर की और दावा ठोकने लगा था। उसने यहां पर्वतारोहियों को जाने की अनुमति देकर अपनी साजिश को अंजाम देना शुरू किया। यहीं से भारत के कान खड़े होने शुरू हुए।

सियाचिन पर निर्णायक कार्रवाई
भारत ने इस क्षेत्र में पाकिस्तानी सैन्य कार्रवाई के बारे में खुफिया जानकारी मिलने के बाद सियाचिन पर निर्णायक कार्रवाई करने का फैसला किया। इसमें भारतीय वायुसेना ने शानदार भूमिका निभाई। एएन-12एस, एएन-32एस एवं आईएल-76एस के जरिए रसद और सामान सैनिकों तक पहुंचाया गया। बेहद ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हवाई आपूर्ति ने भारत की जीत में बड़ी भूमिका निभाई।

300 भारतीय सैनिक ने जमाया कब्जा
इसके बाद वहां से एमआई-17, एमआई-8, चेतक और चीता हेलीकॉप्टरों ने भारतीय जवानों और जरूरी सामग्री को ग्लेशियर की अत्यधिक ऊंचाई तक पहुंचाया। जल्द ही लगभग 300 भारतीय सैनिक ग्लेशियर की रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चोटियों और दर्रों पर तैनात हो गए। जब तक पाकिस्तानी सेना आगे की कार्रवाई के बारे में सोच पाती, तब तक भारतीय सेना ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बिलाफॉन्ड ला, सियाला पास और ग्योंग ला पर्वत चोटियों और दर्रों पर अपना कब्जा जमा लिया। पाकिस्तान का मंसूबा पूरी तरह नाकाम हो गया।

अदम्य साहस की बानगी
कराकोरम पर्वत शृंखला में करीब 20,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर दुनिया में सबसे ऊंचा सैन्यीकृत क्षेत्र है और यहां तैनात भारतीय सेना के जवान अपने अदम्य साहस का परिचय दे रहे हैं। यहां सैनिकों को बर्फीली और सर्द हवा से जूझना पड़ता है। अब यहां महिला सैनिकों की भी तैनाती की गई है।
ये ग्रह है पृथ्वी की बहन,पर नेचर है बिल्कुल अलग
May 16, 2025

RCB का खेल बिगाड़ सकती है KKR की ये प्लेइंग-11

इंग्लैंड दौरे पर इस पाकिस्तानी खिलाड़ी का रिकॉर्ड तोड़ सकते हैं यशस्वी जायसवाल

Photos: दुनिया का एकमात्र ऐसा देश, जिसके एक कोने में सूरज ढलता है तो दूसरे में उगता है, कहलाता है भारत का सच्चा मित्र

Bridal Entry Ideas:फूलों की चादर से पालकी तक, ये ब्राइडल एंट्री आपकी शादी को बनाएंगे यादगार, हर कोई करेगा बस दुल्हन की तारीफ

Stars Spotted Today: बॉसी लुक में हसीन लगीं रश्मिका मंदाना, मलाइका अरोड़ा के कूल अंदाज को देखता रह गया जमाना

गाजा में तबाही मचाने के बाद अब यमन में इजराइल ने किया हमला, दो बंदरगाहों को बनाया निशाना

Urfi Javed: खिलती कली बनकर आईं उर्फी, फेल किए Met Gala और Cannes के सभी लुक्स, देखें उनकी ड्रेस का वीडिया

Agra: चंबल नदी में नहाने गए युवक पर मगरमच्छ ने बोला हमला, बाल बाल बची जान

Couple Goal: दूल्हे को सूझी मस्ती तो दुल्हन के साथ कर दिया ऐसा कांड, वीडियो देख पब्लिक ने दिया कुछ ऐसा रिएक्शन

पाकिस्तानी मिसाइलों को हवा में ध्वस्त करने वाले 'आकाशतीर' को कितना जानते हैं आप? बना देता है अदृश्य दीवार
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited