ये है भारत का आखिरी रेलवे स्टेशन, फिर पैदल ही विदेश की सैर

भारतीय रेलवे दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है और रोजाना सैकड़ों रेलगाड़ियां लाखों यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाती है। भारत में लगभग 7083 रेलवे स्टेशन हैं। इनमें से कुछ स्टेशनों खास वजहों से मशहूर हैं और इनकी अपनी अलग कहानी है। आपने भारत के सबसे बड़े और सबसे छोटे रेलवे स्टेशन के बारे में पढ़ा और सुना होगा, लेकिन हम आपको बता रहे हैं कि भारत का आखिरी स्टेशन कौन सा है।

सिंहाबाद रेलवे स्टेशन
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​सिंहाबाद रेलवे स्टेशन

भारत के आखिरी स्टेशन का नाम सिंहाबाद है और यह बांग्लादेश की सीमा से सटा हुआ है। यह स्टेशन आजादी से भी पहले का है। तब ये स्टेशन कोलकाता से ढाका तक जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। इस रूट से कई बार महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस ढाका जा चुके हैं। काफी समय पहले यहां से दार्जिलिंग मेल जैसी ट्रेनें भी गुजरा करती थीं, लेकिन अब सिर्फ यहां से मालगाड़ियां ही गुजरती हैं। इनसे खाने-पीने का सामान की आवाजाही होती है।(YouTube Grab)और पढ़ें

भारत का सीमान्त स्टेशन
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भारत का सीमान्त स्टेशन

सिंहाबाद स्‍टेशन के नाम के साथ लिखा है 'भारत का सीमान्त स्‍टेशन'। आज भी लोग यहां ट्रेन रुकने का इंतजार कर रहे हैं जिसकी उम्मीद बेहद कम ही है।

अंग्रेजों के समय का स्टेशन
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​अंग्रेजों के समय का स्टेशन​

ये कोई बड़ा स्टेशन नहीं है , साथ ही बहुत पुराना। स्टेशन अंग्रेजों के समय का है। आज भी वैसा ही है, जैसा अंग्रेजों के राज में था। (प्रतीकात्मक)

बांग्लादेश की सीमा से सटा
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​बांग्लादेश की सीमा से सटा​

बांग्लादेश की सीमा से सटा यह भारत का आखिरी रेलवे स्टेशन है, जिसका इस्तेमाल अब मालगाड़ियों के लिए होता है।

बांग्लादेश की पैदल सैर
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​बांग्लादेश की पैदल सैर​

ये स्टेशन पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के हबीबपुर इलाके में स्थित है। खास बात ये है कि सिंहाबाद से लोग कुछ किमी दूर बांग्लादेश पैदल घूमने ही निकल जाते हैं। (File photo)

मालगाड़ियों की आवाजाही
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​मालगाड़ियों की आवाजाही​

इसके बाद भारत का कोई और रेलवे स्टेशन नहीं है। बंटवारे के बाद ये स्टेशन पूरी तरह वीरान हो गया था और 1978 में इस पर मालगाड़ियों की आवाजाही शुरू हुई।

खाद्य पदार्थों का निर्यात
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​खाद्य पदार्थों का निर्यात​

मालगाड़ियां भारत-बांग्लादेश के बीच चलती हैं, लेकिन 2011 में नए समझौते के तहत नेपाल के लिए भी मालगाड़ी चलने लगी। इनके जरिए खाद्य पदार्थों का निर्यात होता है।

हाथ के गियरों का इस्तेमाल
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​हाथ के गियरों का इस्तेमाल ​

यहां सिग्नल के लिए अभी भी हाथ के गियरों का इस्तेमाल किया जाता है। छोटा सा ऑफिस ही स्टेशन बना हुआ है। पास में एक दो रेलवे के क्‍वार्टर हैं और नाममात्र के कर्मचारी काम करते हैं। (pti)

आज भी अंग्रेजों के समय का सामान
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​आज भी अंग्रेजों के समय का सामान​

इसके अलावा यहां सिग्रल, संचार और स्टेशन से जुड़े उपकरण, टेलीफोन आज भी अंग्रेजों के समय के ही हैं।

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