2023 के पहले सूर्य ग्रहण से सियासी उथल-पुथल का कनेक्शन! जानिए, क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
Solar eclipse of April 20, 2023: साल 2023 साल का पहला सूर्य ग्रहण गुरुवार (20 अप्रैल, 2023) को सुबह सात बजकर चार मिनट से दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक चला, जबकि इसका मध्य नौ बजकर 46 मिनट पर रहा। ग्रहण की अवधि पांच घंटा 24 मिनट रही। आइए, जानते हैं इस ग्रहण से जुड़ी बड़ी और अहम बातें:
कहां-कहां आया नजर?
यह ग्रहण मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में लगा। हालांकि, यह पूर्ण सूर्य ग्रहण था, जो अमेरिका, चीन-जापान और थाईलैंड समेत 14 से अधिक मुल्कों में इसे देखा गया पर भारत में यह नहीं दिखा।
सूर्यग्रहण खास था क्योंकि...
यह सूर्यग्रहण इसलिए खास बताया गया क्योंकि इसे लेकर कहा गया कि इसमें सूर्य, चंद्रमा, राहु और बुध का संयोग बनेगा। साथ ही इस संयोग पर शनि की नजर भी रहेगी। सूर्य-राहु और शनि के असर के चलते देश-दुनिया में दुर्घटनाओं की आशंका बन सकती है। सूर्य प्रशासन-राजनीति का प्रमुख ग्रह माना जाता है। ऐसे में आशंका है कि सियासी तौर पर बड़ी उथल-पुथल मच सकती है।
लगभग महीने भर तक असर दिखने के आसार!
एस्ट्रोलॉजर पंडित शैलेंद्र पांडे के मुताबिक, सूर्य ग्रहण के अगले 15-30 दिन तक राजनीति के क्षेत्र में फेरबदल जारी रह सकते हैं। शेयर बाजार और विश्व की आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ने के आसार हैं।
ग्रहण के चलते मंदी-वायरस भी डाल सकती हैं प्रभाव
उन्होंने आगे एक न्यूज़ चैनल को बताया कि हम जिसे मंदी कहते हैं, उसका असर भी लोगों के जीवन पर देखने को मिल सकता है। वायरस भी फिर से परेशान कर सकता है। वैसे, ऐहतियाती कदम से उससे बचा जा सकता है। यह उतना अधिक गंभीर नहीं होगा।
...तो सबसे ज्यादा इन लोगों पर पड़ सकता है असर
साल के पहले सूर्यग्रहण से सर्वाधिक प्रभावित होने वाली राशियों में मेष और तुला हैं, जो कि संकेत देती हैं कि विश्व भर में जंग और विस्फोट की आशंका की ओर इशारा करता है। पाकिस्तान, अफगानिस्तान, कनाडा, अमेरिका और यूरोप में अधिक समस्या (राजनीतिक, प्राकृतिक और आर्थिक आदि) हो सकती है। अलग-अलग राशियों के जातकों पर अगले एक महीने तक ग्रहण का असर दिख सकता है।
ग्रहण के समय आप क्या करें? बताया एक्सपर्ट्स ने
ग्रहण का शाब्दिक अर्थ स्वीकारना होता है। चाहे हो सूर्य हो या चंद्र...अगर आप उस समय पूजा-उपासना और जप करते हैं तो वह स्वीकार हो जाती (मान्यता) है। ऐसे में एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ग्रहण के दौरान अगर अपने ईष्ट का ध्यान किया जाए और आराधना की जाए तो आपकी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
घबराने या फिर डरने की नहीं है जरूरत!
चूंकि, सूर्य देव से शिव को जोड़ कर देखा जाता है। कहते हैं कि सूर्य से जुड़े निदान के लिए शिव की पूजा होती है ऐसे में ग्रहण काल में नमः शिवाय का जाप (जितना अधिक) करना शुभ रहेगा। वैसे, ग्रहण से घबराने या डरने की जरूरत नहीं है।
हाइब्रिड ग्रहण कहलाने के पीछे है यह वजह
वैशाख अमावस्या के दिन एक ही तरह के तीन सूर्यग्रहण दिखेंगे, जिसे वैज्ञानिकों ने "हाइब्रिड सूर्य ग्रहण" (कंकणाकृतिः एक किस्म का मिला-जुला ग्रहण) नाम दिया है। कुंडलाकार सूर्यग्रहम बीच में आकर रोशनी को रोकता है।
हाइब्रिड सूर्यग्रहण के दौरान और क्या होता है?
ऐसे सूर्य ग्रहण के दौरान चंद्रमा सूरज के बीचो-बीच आ जाता है। ऐसे में सूर्य कुछ समय के लिए चमकदार अंगूठी जैसा नजर आने लगता है। यह सूर्य ग्रहण कंकणाकृति सूर्य ग्रहण कहलाता है और इस तरह के ग्रहण लगभग 10 साल में एक बार लगते हैं।
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