करगिल की कहानी: पाक सैनिकों पर दागे थे 2.5 लाख गोले, ऐसे मिली थी असंभव जीत...दुनिया थी हैरान
दुनिया में अब तक जितने भी युद्ध लड़े गए, उनमें से सबसे मुश्किल युद्ध भारत ने भी लड़ा। साल 1999 में मई से जुलाई के बीच कश्मीर के लद्दाख में करगिल युद्ध हुआ था। ये युद्ध पाकिस्तान की दगाबाजी का नजीता था। 84 दिनों तक चले इस युद्ध की कहानी आज भी देशवासियों में जोश भर देती है। इस युद्ध में हमारे जवानों की जांबाजी की कहानी सुन दुनिया हैरान रह जाती है। हम आपको इसी करगिल युद्ध की कहानी बता रहे हैं।

हर साल 26 जुलाई को विजय दिवस
देश में हर साल 26 जुलाई को विजय दिवस मनाया जाता है। इस दिन ऐतिहासिक करगिल युद्ध में भारत की जीत के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों को सच्ची श्रद्धांजलि दी जाती है। 1999 को हुए युद्ध में भारतीय सैनिकों ने चोटी पर बैठे पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार भगाया था। इस युद्ध में 500 से अधिक भारतीय सैनिक शहीद हुए थे।

पाकिस्तान की दगाबाजी से हुआ करगिल युद्ध
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 21 फरवरी, 1999 को लाहौर समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता के दृष्टिकोण की बात करने वाले इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। लेकिन कुछ महीने बाद पाकिस्तान ने दगाबाजी की और जम्मू-कश्मीर के करगिल जिले में घुसपैठ कर कब्जा जमाया जिससे करगिल युद्ध हुआ।

3 मई 1999 का वो दिन
3 मई 1999 को एक चरवाहे ने हथियारबंद पाकिस्तानी सैनिकों को करगिल की चोटियों पर देखा था और जानकारी तुरंत भारतीय सेना के अधिकारियों को दी। इसके बाद 5 मई को भारतीय जवानों को वहां निरीक्षण के लिए भेजा गया। पाकिस्तान सेना की गोलीबारी में भारतीय सेना के 5 जवान शहीद हो गए। इसके साथ ही करगिल युद्ध का आगाज हो गया।

18,000 फीट की ऊंचाई पर 84 दिन लंबा युद्ध
करगिल युद्ध 18,000 फीट की ऊंचाई पर 84 दिनों तक चला। इस दौरान भारतीय सेना ने चोटियों पर बैठे पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकियों पर करीब 2.5 लाख गोले दागे। युद्ध दौरान 300 से ज्यादा तोप, मोर्टार और रॉकेट लॉन्चर से हर रोज औसतन 5000 से ज्यादा फायर किए गए।

चोटियों पर जमे थे पाकिस्तानी सैनिक
सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि दुश्मन ऊपर चोटियों पर बैठा था। भारतीय जवानों की मुश्किल थी कि वे नीचे थे। तब भारतीय सेना के लिए सबसे ज्यादा मददगार हथियार बोफोर्स तोपें ही साबित हुईं जिन्हें लेकर कभी राजीव सरकार पर घोटाले के आरोप लगे थे। बोफोर्स वजन में बहुत हल्की थी और इसने चोटियों पर जमकर गोलाबारी कर उसे तगड़ा नुकसान पहुंचाया।

टाइगर हिल्स की असंभव जीत
युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने टाइगर हिल्स पर भी कब्जा जमा लिया था। ऊपर से लगातार बमबारी और गोलियां चलाई जा रही थी। ये पोस्ट सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम थी। सेना ने इस असंभव जीत को भी हासिल कर दिखाया। टाइगर हिल्स पर विजय हासिल करना ही सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट था।

धीरे-धीरे सेना ने सभी चोटियों पर दोबारा कब्जा
धीरे-धीरे सेना ने सभी चोटियों पर दोबारा कब्जा कर लिया। करीब 3 महीने तक चले इस युद्ध में देश के 527 सैनिकों ने शहादत दी। इस पूरी जंग में सबसे अहम भूमिका टाइगर हिल की रही। टाइगर हिल्स की जीत के साथ ही दुश्मन के हौसले पस्त हो गए और भारतीय सेना ने धीरे धीरे बाकी चोटियों से भी पाकिस्तानियों को खदेड़ दिया। इस युद्ध में मिली जीत के बाद हर साल 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस मनाया जाता है।

भारतीय सेना का दम देख दुनिया भी हैरान
अटल बिहारी वाजपेयी ने देश की जनता के सामने स्पष्ट कर दिया था कि पाकिस्तान की गद्दारी का जवाब जरूर दिया जाएगा। फिर भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय की शुरुआत की। इसमें भारतीय सेना ने असंभव जीत को संभव कर दिया। इस मुश्किल युद्ध में भारतीय सेना के दम देख दुनिया भी इसे देख हैरान थी।

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