आजादी के बाद कैसे हुआ राज्यों का विभाजन, 9 तस्वीरों में 9 कहानियां

देश को आजाद हुए 78 साल हो गए हैं। इस साल देश अपनी आजादी की 77वीं वर्षगांठ मना रहा है। पिछले सात दशकों में देश ने बहुत तरक्की की है। देश हर क्षेत्र में आगे बढ़ा है। इस दौरान कई राज्यों का विभाजन भी हुआ है। ज्यादातर राज्यों का विभाजन भाषा और संस्कृति के आधार पर हुआ है। अब तक 9 बार ऐसा हो चुका है, जब एक राज्य के कुछ हिस्से को बांटकर दूसरा राज्य बना है। जानिए 1956 के बाद भारत में कब-कब बने अलग राज्य।

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1960

तत्कालीन बॉम्बे स्टेट के दो क्षेत्रों को भाषा के आधार पर बांटा गया। मराठी बोली वाले क्षेत्र का नाम महाराष्ट्र रखा गया, जबकि गुजराती बोलने वाले क्षेत्र को गुजरात नाम दिया गया।

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1963

साल 1963 में असम राज्य का विभाजन हुआ और इस राज्य के अलग हुए हिस्से को नागालैंड नाम से अलग राज्य बनाया गया।

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1966

उस समय एकीकृत पंजाब को तीन हिस्सों में बाटा गया। पंजाब के अलावा दो अन्य राज्य बनाए गए जिन्हें आज हरियाणा और हिमाचल प्रदेश कहा जाता है।

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1972

आजादी के 25 साल बाद देश में तीन राज्यों का गठन हुआ। इन तीन राज्यों को आज मेघालय, मणिपुर और त्रिपुरा के रूप में जाना जाता है।

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1975

आजादी के समय अलग देश के रूप में रहे सिक्किम को इसी साल भारत में शामिल किया गया। एक जनमत संग्रह के बाद सिक्किम ने भारत में विलय का फैसला किया था।

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1987

गोवा और अरुणाचल प्रदेश अभी तक केंद्र शासित प्रदेश थे। साल 1987 में इन दोनों ही केंद्र शासित प्रदेशों को राज्य का दर्जा मिला।

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2000

नई सदी के पहले साल में तीन नए राज्य बनाए गए। उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड, बिहार से झारखंड और मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ अलग राज्य के रूप में सामने आए।

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2014

आंध्र प्रदेश का विभाजन साल 2014 में हुआ और अलग राज्य को तेलंगाना नाम मिला, जबकि एक हिस्सा आंध्र प्रदेश अब भी देश का राज्य है।

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2019

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के साथ ही केंद्र सरकार ने इस प्रदेश को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया। एक का नाम जम्मू-कश्मीर ही रहा, जबकि दूसरे का नाम लद्दाख रखा गया।