अवध का अंतिम नवाब, अय्याश इतना कि खुद भूल गया था प्रेमिकाओं की संख्या, एक साथ दे दिया था 27 बीवियों को तलाक

आज का लखनऊ, अयोध्या कभी अवध रियासत के तौर पर जाना जाता था। यहां नवाबों का शासन था। अवध रियासत काफी अमीर रियासत मानी जाती थी। यहां की नवाबियत को लेकर कई कहानियां है, लेकिन अवध के अंतिम नवाब के कारनामों की लिस्ट लंबी है। अवध के अंतिम नवाब मिर्जा वाजिद अली शाह की अय्याशी इतनी ज्यादा थी कि कहा जाता है कि वो अपनी प्रेमिकाओं की गिनती तक भूल गए थे। वाजिद अली शाह ने इतनी शादियां की थी कि तंगी के दिनों में एक साथ 27 बीवियों को तलाक दे दिया। ये इकलौते ऐसे नवाब थे, जो एक जूती की वजह से अंग्रेजों के गुलाम हो गए थे।

वाजिद अली शाह जब जूतियों की वजह से हुए अंग्रेजों के गुलाम
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वाजिद अली शाह जब जूतियों की वजह से हुए अंग्रेजों के गुलाम

वाजिद अली शाह ने अवध की गद्दी तब संभाली जब राज्य का पतन हो रहा था। अंग्रेजों की नजर इस समृद्ध रियासत पर थी। मुगल कमजोर हो चुके थे। 7 फरवरी 1856 को अंग्रेजों ने अवध को अपने साम्राज्य में मिला लेने की घोषणा की। अंग्रेज जब अवध पर कब्जे के लिए घुसे तो वाजिद अली शाह को आराम से बैठे हुए पाया। उनके नौकर, बीवी, बच्चे सब इधर उधर छुप गए थे। अंग्रेजों ने जब नवाब से पूछा कि वो क्यों नहीं भागे, बैठे क्यों हैं तो नवाब ने कहा कि उन्हें जूतियां पहनाने वाला कोई नहीं है, इसलिए वो बैठे रहे।और पढ़ें

कितनी प्रेमिका याद नहीं
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कितनी प्रेमिका याद नहीं

वाजिद अली शाह का बचपन ही रंगीन दुनिया में बीता था। वाजिल अली शाह ने अपनी आत्मकथा में खुद अपने प्रेम संबंधों के बारे में लिखा है। उनकी आत्मकथा परीखाना के अनुसार वाजिद अली शाह पहली बार 8 साल की उम्र में उस महिला के साथ संबंध बनाए थे, जो उनकी नौकरानी थी और उम्र में काफी बड़ी थी। इसके बाद अपनी मां की नौकरानी के साथ, फिर 11 साल की उम्र में बन्नो साहेब के साथ, फिर हाजी खानम के साथ। कहा जाता है कि 18 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते वाजिद अली शाह की इतनी प्रेमिकाएं हो चुकी थीं कि उन्हें खुद याद नहीं था।और पढ़ें

वाजिद अली शाह की कितनी बीवियां
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वाजिद अली शाह की कितनी बीवियां

नवाब वाजिद अली शाह के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने 300 से ज्यादा शादियां की थीं। 112 से अधिक निकाह थे तो कुछ मुताह, मतलब समय तक की जाने वाली शादी, कुछ अफ्रीकी गुलामों से भी उन्होंने शादी की थी। इन्हीं गुलामों में से कुछ को उन्होंने अपना बॉडीगार्ड भी बना रखा था। इनके परीखाने में 180 से ज्यादा औरतें संगीत सिखाने के लिए रखी गई थी। और पढ़ें

पत्नी लड़ी लेकिन वो बैठे रहे
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पत्नी लड़ी लेकिन वो बैठे रहे

वाजिद अली शाह जब अंग्रेजों के गुलाम बनकर कलकत्ता चले गए, तब उनकी दूसरी बीवी बेगम हजरत महल ने अंग्रेजों से लोहा लिया था। वापस वो अवध आईं थीं और अपने शासन पर कब्जा किया था। बेगम हजरत महल पहले नवाब की सेविका के तौर पर हरम में शामिल हुई थी, बाद में नवाब ने उनसे निकाह किया था। 1857 के विद्रोह में बेगम हजरत महल ने अंग्रेजों के कई बार घेरा था और हराया था।और पढ़ें

जब नवाब को किराये पर लेना पड़ा घर
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जब नवाब को किराये पर लेना पड़ा घर

नवाब वाजिद अली शाह को अंग्रेजों ने अवध ने निकालकर जब कलकत्ता भेज दिया और उन्हें रहने के लिए फोर्ट विलियम में रहने के लिए एक बंगला दिया तो वहां नवाब के लिए जगह कम पड़ गई। नवाब को 300 पत्नियां, बच्चे और नौकरों के साथ जब रहना वहां मुश्किल हो गया तो उन्होंने आस पास के दो बंगले को किराये पर ले लिया।

जब दे दिया 27 पत्नियों को तलाक
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जब दे दिया 27 पत्नियों को तलाक

अंग्रेज से नवाब वाजिद अली शाह को 1 लाख रुपये भत्ते के तौर पर मिलता था। इससे वाजिद अली शाह को काफी दिक्कत होती थी। खर्चे चलाने में मुश्किलें होती थीं। इसी बीच उनकी एक पत्नी माशूक महल के बेटे ने अंग्रेजों से शिकायत कर दी कि उनकी मां को नवाब पैसे नहीं देते हैं, जिसके बाद अंग्रेज ने आदेश दिया कि नवाब प्रत्येक बीवी को 2500 रुपया महीना देंगे। इस आदेश से खफा नवाब ने एक साथ 27 पत्नियों को तलाक दे दिया था।और पढ़ें

वाजिद अली शाह की हत्या
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वाजिद अली शाह की हत्या?

वाजिद अली शाह की मौत 1 सितंबर 1887 को हुई थी। वाजिद अली शाह की मौत स्वभाविक थी या हत्या हुई थी? इस पर आज भी विवाद है। रिपोर्ट्स के अनुसार वाजिद अली शाह को मुन्सरिमुद्दौला ने एक गिलास पानी में कोई जानलेवा जहर दिया और वह तुरंत बेहोश हो गए और उनकी मृत्यु हो गई। वह जहर परिष्कृत (और आयातित) पोटेशियम साइनाइड या ऐसी ही कोई चीज हो सकती है। राजा वाजिद अली को अगले दिन सरकारी संरक्षण में बड़े धूमधाम और सैन्य सम्मान के साथ औपचारिक रूप से दफना दिया गया। इस अचानक अप्राकृतिक मौत के मामले में तत्कालीन सरकार ने कोई शव परीक्षण या जांच का आदेश नहीं दिया गया था, जिससे हत्या की आशंका और गहरा जाती है। हालांकि इसे लेकर कोई भी स्पष्ट सबूत कभी सामने नहीं आ पाया।और पढ़ें

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