जिसने किया था भारत का बंटवारा, उस अंग्रेज को नसीब हुई थी ऐसी भयंकर मौत, पानी में ही उड़ गए चिथड़े
भारत का बंटवारा कर, पाकिस्तान को अलग करने का काम जिस अंग्रेस अफसर ने किया था, उसे बहुत ही दर्दनाक मौत मिली थी। हम बात कर रहे हैं, भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड लुईस माउंटबेटन की। लॉर्ड माउंटबेटन 20 सदी में हुए कई बड़े बदलावों और घटनाओं के अहम गवाह ही नहीं कारण भी थे। लॉर्ड लुईस माउंटबेटन को अपने ही लोगों ने परिवार के साथ बम से उड़ा दिया था।

लॉर्ड माउंटबेटन को किसने मारा?
लॉर्ड माउंटबेटन को भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के पीछे की अहम वजह माना जाता है। जिस शख्स ने दो देशों के बीच लकीर खीची उसकी मौत भी सवालिया निशान के साथ खत्म हुई। मौत की वजह क्लियर नहीं हुई। अहम बात ये कि माउंटबेटन की हत्या के पीछे किसी भारतीय या फिर पाकिस्तानी का हाथ नहीं था, बल्कि आयरिश रिपब्लिकन आर्मी के उग्रवादियों ने 27 अगस्त 1979 को माउंटबेटन को मौत की नींद सुला दी।

लॉर्ड माउंटबेटन का जन्म कहां हुआ था?
25 जून 1900 में इंग्लैंड के विंडसर में लुईस फ्रांसिस अल्बर्ट विक्टर निकोलस का जन्म हुआ था। जिसे आज पूरी दुनिया लॉर्ड माउंटबेटन के नाम से जानती है। वह नौसेना के एक उच्च अधिकारी होने के साथ-साथ ब्रिटिश राजघराने से ताल्लकु रखते थे। शुरुआती पढ़ाई- लिखाई घर पर हुई थी। साल 1914 में वो डार्टमाउथ के रॉयल नेवल कॉलेज पहुंचे।

लॉर्ड माउंटबेटन कब बने भारत के वायसराय
1916 में वो ब्रिटेन की रॉयल नेवी में शामिल हुए और पहले विश्व युद्ध के दौरान उनकी तैनाती समुद्र में हुई। साल 1947 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली ने माउंटबेटन को भारत के अंतिम वायसराय के तौर पर काम करने के लिए राजी कर लिया था। एटली भारत से ब्रिटेन की वापसी की देखरेख लॉर्ड माउंटबेटन को सौंपना चाहते थे। मार्च 1947 को उन्हें भारत के वायसराय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

भारत का किया था बंटवारा
माउंटबेटन ने भारत की आजादी की तारीख भी घोषित की। उन्होंने उस वक्त एक आजाद भारत के निर्माण की उम्मीद की थी। लेकिन 15 अगस्त 1947 को भारत और पाकिस्तान के तौर पर ब्रिटिश भारत का विभाजन कर दिया गया।

भारत का अंतरिम गर्वनर जनरल
आजादी के भारत के नेताओं ने माउंटबेटन को भारत का अंतरिम गर्वनर जनरल बनाया था। जवाहर लाल नेहरू और राजेंद्र प्रसाद माउंटबेटन को औपचारिक रूप से भारत के पहले गर्वनर जनरल बनने का न्योता देने खुद आए थे। जिसे लार्ड माउंटबेटन ने स्वीकार कर लिया था। उन्होंने साल 1948 तक इस जिम्मेदारी को संभाला। उनके बाद ये जिम्मेदारी सी राजगोपालाचारी ने संभाली थी।

जब मारे गए लॉर्ड माउंटबेटन
साल 1953 में माउंटबेटन नौसेना में वापस आ गए, 1954 में उन्हें नौसेना में फर्स्ट सी लॉर्ड के तौर पर नियुक्त किया गया। 27 अगस्त 1979 सोमवार का दिन था माउंटबेटन उस दिन उत्तरी पश्चिम आयरलैंड के एक बंदरगाह में परिवार समेत बोट पर सवार होकर निकले थे। उनकी नाव निकली ही थी सुबह करीब 11.30 बजे नाव में जोरदार धमाका हुआ। जिसमें उनके साथ परिवार के कई सदस्यों की भी मौत हो गई।

माउंटबेटन की हत्या का रहस्य
बाद में जांच की तो पता चला कि उनकी हत्या में आयरिश रिपब्लिकन आर्मी (आईआरए) का हाथ था। माउंटबेटन की हत्या को लेकर कई थ्योरी भी सामने आई थी। एक लेख में बताया गया था कि उनको ब्रिटिश इंटेलिजेंस ने मरवाया था। जिसको लेकर काफी बवाल भी हुआ। इसके अलावा एक मत यह भी है कि लॉर्ड माउंटबेटन की हत्या के पीछे अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए का हाथ था।

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