भारत का इकलौता कुआं, जिससे निकलती है 474 KM स्वर्ण नदी; पानी के नीचे रेत में छिपा रहता है Gold
भा़रत में 400 से ज्यादा नदियां बहती हैं, इनमें से लगभग सभी नदियों का उद्गम पहाड़ हैं, कोई हिमाचल की गोद से तो कोई अमरकंटक से। इसके अलावा भी कई और उद्गम स्थल हैं, लेकिन भारत में एक ऐसी नदी भी बहती है, जिसका उद्गम स्थल एक कुआं है। ये नदी भी कोई छोटी मोटी नहीं है, 447 किलोमीटर लंबी नदी। इस नदी का नाम स्वर्णरेखा नदी है, जो झारखंड राज्य में बहती है। नाम के अनुरूप ही इस नदी से सोना भी निकाला जाता है, जो इसकी तलहटी में छिपा रहता है।
किस कुएं से निकलती है स्वर्णरेखा नदी
झारखंड के नागपुर पठार के पठार से स्वर्णरेखा नदी निकलती है। रांची से कुछ दूरी पर स्थित नगरी में एक कुआं है, जिसका नाम रानी चुआं है। इसी कुएं से स्वर्णरेखा नदी निकलती है। शुरुआत में स्वर्णरेखा नदी की धारा छोटी होती है, लेकिन आगे चलकर यह विशाल रूप धारण कर लेती है। इस कुएं का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है और महाभारत काल से इसकी कहानी जुड़ी हुई है।
रानी चुआं कुआं का क्या है इतिहास
रांची के पास में स्थित रानी चुआ कुआं का संबंध महाभारत काल से है। कहा जाता है कि जब पांडव अज्ञातवास पर थे, तब द्रौपदी ने इस कुएं का प्रयोग पूजा के लिए किया था। सूर्य भगवान की पूजा के लिए वो इस कुएं के पानी का इस्तेमाल करती थीं। एक और मान्यता है कि सीता माता भी इस कुएं का उपयोग करती थीं।
रानी चुआं कुआं से निकलता है सोना
स्वर्ण रेखा नदी में पाया जाने वाला सोना इसी कुएं से निकलता है। हालांकि कुएं से निकलने वाले सोने को कोई हाथ नहीं लगाता है। मान्यता है कि अगर कोई ऐसा करता है तो उसके साथ बुरा होता है, उसकी मौत भी हो सकती है। इस कुएं के पानी का इस्तेमाल शुभ कामों में किया जाता है।
कुएं से निकलने वाली स्वर्णरेखा कैसे हो जाती है विशाल
जब इस कुएं से स्वर्णरेखा नदी निकलती है तब वो एक छोटी नदी होती है लेकिन जैसे-जैसे आगे बढ़ते जाती है। इस कुएं से पानी निकलने के बाद खेतों से बहते हुए 2 किमी दूर बांधगांव पहुंचता है। यहीं से रानी चुआं का पानी नदी का रूप लेने लगता है। आगे जाकर जब इसमें और नदियों का मिलने होता है तो यह विशाल रूप धारण कर लेती है।
कहां-कहां से होकर गुजरती है स्वर्णरेखा नदी
झारखंड की राजधानी रांची के पास नागरी से निकलने के बाद सुवर्णरेखा नदी राज्य के रांची, सरायकेला, खरसावां और पूर्वी सिंहभूम जिलों से होकर लंबी दूरी तय करती है। इसके बाद, यह पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर जिले से होते हुए ओडिशा के बालासोर पहुंच जाती है। वहां, यह 79 किलोमीटर (49 मील) बहती है और तलसारी के पास बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
स्वर्णरेखा में कौन-कौन सी नदी मिलती है
स्वर्णरेखा की प्रमुख सहायक नदियां खरकई, रोरो, कांची, हरमू नदी, दमरा, कर्रू, चिंगुरु, करकारी, गुरमा, गर्रा, सिंगडुबा, कोडिया, डुलुंगा, खरकई और खैजोरी हैं। सोनारी (डोमुहानी) में स्वर्णरेखा से मिलती है।
कितनी बड़ी है स्वर्णरेखा नदी
स्वर्णरेखा का बेसिन भारत के अधिकांश बहु-राज्य नदी बेसिनों से छोटा है। वर्षा आधारित यह नदी 18,951 वर्ग किलोमीटर (7,317 वर्ग मील) के जल निकासी क्षेत्र को कवर करती है।
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