35 से ज्यादा अंडरकवर एजेंट देने वाला पंजाब का रहस्यमयी गांव; छिपी है जासूसों की कई कहानियां

Spies Village: जासूसी के बारे में सुनते ही ज़हन में 'जेम्स बॉन्ड' का ख्याल जरूर आता है। आप लोगों ने भी कभी न कभी जेम्स बॉन्ड की फिल्में जरूर देखी होंगी, लेकिन क्या आपको पता है कि असल जीवन में जासूसों की जिंदगी फिल्मी दुनिया में दिखाए जाने वाली शानो शौकत से काफी परे होती हैं। भारत में भी एक ऐसा गांव है, जहां से आजादी के बाद से लगभग 35 अंडरकवर जासूस निकले। इस गांव में कई कहानियां छिपी हुई हैं। हम बात कर रहे हैं पंजाब के गुरुदासपुर स्थित 'दादवान गांव' की।

जासूसों का गांव
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जासूसों का गांव

आजादी के बाद से अबतक दादवान से 35 से अधिक अंडरकवर जासूस निकले। द ट्रिव्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, इस गांव को 'जासूसों का गांव' भी कहा जाता है। जासूसों का जीवन रोमांचकारी तो होता ही है, लेकिन उनके कंधों पर जिम्मेदारियां भी होती है।

जासूसी का अलिखित नियम
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जासूसी का अलिखित नियम

जैसा कि आप लोगों ने फिल्मों या वेब सीरीज में देखा होगा कि जासूसों के पकड़े जाने पर देश उसके अस्तित्व को ही नकार देते हैं। जासूसी की असल दुनिया में भी एजेंसियां पकड़े जाने पर कुछ ऐसा ही करती हैं और जासूस बनने वाले लोग शायद इस अलिखित नियम से वाकिफ भी होते हैं।

दादवान का आखिरी जासूस
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दादवान का आखिरी जासूस

दादवान गांव के आखिरी जासूस राजा मसीह ने 2000 से 2010 के बीच में लगभग 50-60 बार पड़ोसी देश की यात्रा की, लेकिन 2010 में पाकिस्तान रेंजर्स ने उन्हें पकड़ लिया। हालांकि, नवंबर 2022 में कोर्ट के एक आदेश के बाद राजा मसीह को रिहा कर दिया गया था।

आखिरी मिशन पर पकड़ा गया अन्य जासूस
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आखिरी मिशन पर पकड़ा गया अन्य जासूस

दादवान गांव के ऐसे ही एक और शातिर जासूस रहे जिनका नाम सतपाल थे। उनके बेटे सुरिंदर पाल सिंह ने एक बार बताया था कि उनके पिता ने 14 साल तक देश के लिए काम किया और कभी भी पाकिस्तान के हाथ नहीं आए थे। हालांकि, सतपाल ने साल 2000 में आखिरी बार भारत-पाकिस्तान सीमा क्रास की थी। इसके बाद खून से लथपथ उनका शरीर बाघा बॉर्डर पर बीएसएफ को सौंपा गया था। और पढ़ें

क्या थी मौत की वजह
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क्या थी मौत की वजह?

सतपाल की मौत की वजह ट्यूबरकुलस मेनिनजाइटिस को बताया गया था, लेकिन सतपाल के परिजनों को इस बात पर कभी यकीन ही नहीं हुआ। दादवान गांव में कई जासूसों की कहानियां छिपी हुई हैं। इस गांव के कई लोगों ने पाकिस्तान की जेल में अपना जीवन व्यतीत कर दिया और एजेंसियों ने उन्हें अपना मानने से इनकार कर दिया। हालांकि, दादवान गांव के जासूसों की कभी असल संख्या नहीं पता चल पाई। और पढ़ें

जासूसी के बदल रहे तरीके
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जासूसी के बदल रहे तरीके

तेजी से बदलती दुनिया अब अत्याधुनिक गैजेट्स पर ज्यादा निर्भर करती है और समय के पुरानी तकनीक को बदला जा रहा है। मौजूदा समय में शायद दुश्मनों से खुफिया जानकारी हासिल करने के लिए पुरातन तरीके प्रासंगिक न रह गए हो, लेकिन यह विगत में कारगर साबित हुए हैं।

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