इतिहास का सबसे कमजोर मुगल बादशाह, जो भारत से भागने पर हुआ मजबूर

Weakest Mughal Emperor: क्या आप जानते हैं कि इतिहास के सबसे कमजोर और डरपोक प्रवृत्ति के बादशाहों में सबसे अव्वल दर्जे पर किसका नाम लिया जाता है। ये कहानी बाबर के बेटे की है, जिसे हुमायूँ को सिंहासन पर बैठने के तुरंत बाद चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

कई चुनौतियों का किया सामना
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कई चुनौतियों का किया सामना

दूसरे मुगल बादशाह हुमायूं को अक्सर उनके अशांत शासनकाल और अपने साम्राज्य पर नियंत्रण बनाए रखने के संघर्ष के लिए याद किया जाता है। 6 मार्च, 1508 को काबुल में जन्मे, वे मुग़ल साम्राज्य के संस्थापक बाबर के पुत्र थे।

सबसे कमजोर मुगल बादशाह
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सबसे कमजोर मुगल बादशाह

हुमायूं 26 दिसंबर, 1530 को 22 वर्ष की आयु में सिंहासन पर बैठे। उनके शासनकाल में कई चुनौतियाँ आईं, जिनमें आंतरिक पारिवारिक संघर्ष और प्रतिद्वंद्वी शासकों से बाहरी खतरे शामिल थे। अपने प्रयासों के बावजूद, हुमायूं के शासन की विशेषता अस्थिरता और लगातार हार थी, जिसने उन्हें इतिहास के सबसे कमजोर मुगल बादशाहों में से एक बना दिया।और पढ़ें

हुमायूं के शुरुआती साल और संघर्ष
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हुमायूं के शुरुआती साल और संघर्ष

सिंहासन पर बैठने के तुरंत बाद हुमायूं को चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उनके सौतेले भाई कामरान मिर्ज़ा को काबुल और कंधार विरासत में मिले, जिससे परिवार के भीतर सत्ता संघर्ष शुरू हो गया। कामरान की महत्वाकांक्षाओं और हुमायूँ के साथ प्रतिद्वंद्विता ने उनके क्षेत्रों पर मुगल पकड़ को कमजोर कर दिया।

बहादुर शाह से जूझने पर मजबूर
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बहादुर शाह से जूझने पर मजबूर

इसके अतिरिक्त, हुमायूं को गुजरात के बहादुर शाह और शेर शाह सूरी से भी जूझना पड़ा, दोनों ने ही उसके शासन के लिए महत्वपूर्ण खतरे पैदा किए। 1535 में गुजरात पर कब्ज़ा करने जैसी शुरुआती सफलताओं के बावजूद, हुमायूं अपनी शक्ति को मजबूत करने में असमर्थता के कारण और भी अस्थिरता का कारण बना।

शेर शाह सूरी से मिली हार
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शेर शाह सूरी से मिली हार

हुमायूं के शासनकाल में सबसे महत्वपूर्ण असफलताओं में से एक शेर शाह सूरी से उसकी हार थी। 1539 में, हुमायूं ने चौसा की लड़ाई में शेर शाह का सामना किया, जहां उसे करारी हार का सामना करना पड़ा।

भारत से भागने पर मजबूर
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भारत से भागने पर मजबूर

अगले वर्ष, 1540 में, शेर शाह ने कन्नौज की लड़ाई में हुमायूं को निर्णायक रूप से हरा दिया, जिससे उसे भारत से भागने पर मजबूर होना पड़ा। इस हार ने हुमायूं के पहले शासनकाल के अंत और निर्वासन के वर्षों की शुरुआत को चिह्नित किया। शेर शाह सूरी ने सूर साम्राज्य की स्थापना की, जो हुमायूं द्वारा खोए गए क्षेत्रों पर शासन करता था।और पढ़ें

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