अंतरिक्ष में न मोबाइन न इंटरनेट, तो धरती पर बात कैसे करते हैं अंतरिक्ष यात्री?

अंतरिक्ष की दुनिया कई तरह के रहस्यों से भरी हुई है। वहां क्या-क्या है? यह अब भी बड़ा सवाल है, और इन सवालों का जवाब ढूंढने के लिए इंसान लगातार स्पेस की यात्रा कर रहा है। हाल ही में अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर भी अंतरिक्ष में गए थे। हालांकि, यान में तकनीकी खराबी के कारण दोनों इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में फंसे हुए हैं। नासा ने बताया है कि अगले साल तक दोनों की वापसी की उम्मीद है। इतने लंबे समय से अंतरिक्ष में फंसे होने के बाद भी दोनों अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर मौजूद नासा वैज्ञानिकों और अपने परिजनों से बात कर रहे हैं। यह वाकई चौंकाने वाला है क्योंकि अंतरिक्ष में न तो इंटरनेट मौजूद है और न ही मोबाइल टॉवर, तो क्या अंतरिक्ष से फोन कॉल हो सकती है?

अंतरिक्ष में नहीं है इंटरनेट
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​अंतरिक्ष में नहीं है इंटरनेट​

अंतरिक्ष में किसी तरह का इंटरनेट नहीं होता और न ही यहां से फोन कॉल किया जा सकता है। ऐसे में अंतरिक्ष यात्री धरती पर कैसे बात करते हैं? यह वाकई चौंकाने वाली बता है।

सुनीता विलियम्स ने मां से की थी बात
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​सुनीता विलियम्स ने मां से की थी बात​

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स ने हाल ही में धरती पर अपनी मां बोनी पांड्या से बात की थी। उन्होंने कहा था कि वह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में ठीक हैं और जल्द ही वापस लौट लाएंगी।

कैसे होती है अंतरिक्ष से धरती पर बात
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​कैसे होती है अंतरिक्ष से धरती पर बात​

अंतरिक्ष में संचार (कम्युनिकेशन) इतना आसान नहीं है। वहां न तो मोबाइल टॉवर है, न कोई फोन केबल और न ही इंटरनेट। ऐसे में अंतरिक्ष में कम्युनिकेशन स्पेस कम्युनिकेशन एंड नैविगेशन के माध्यम से धरती पर बात की जाती है।

सैटेलाइट और ऑर्बिटर का होता है इस्तेमाल
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​सैटेलाइट और ऑर्बिटर का होता है इस्तेमाल​

अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर बात करने के लिए सैटेलाइट और ऑर्बिटर का प्रयोग करते हैं। नासा ने इस दिशा में काफी काम किया है। अंतरिक्ष यात्रियों से संपर्क करने के लिए नासा का स्पेस कम्युनिकेशन एंड नैविगेशन सिस्टम काम करता है।

नासा के पास हैं रिले सेटेलाइट
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​नासा के पास हैं रिले सेटेलाइट​

डायरेक्ट-टू-अर्थ सैटेलाइट के अलावा अंतरिक्ष यात्रियों से संपर्क करने के लिए नासा के पास रिले सैटेलाइट भी हैं। जबकि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से ट्रैकिंग एंड डेटा रिले सैटेलाइट्स (TDRS) के जरिए संपर्क होता है।

ये होती है प्रक्रिया
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​ये होती है प्रक्रिया​

ट्रैकिंग एंड डेटा रिले सैटेलाइट्स ग्राउंड सैटेलाइट को सिग्नल भेजती है। इस काम के लिए ऑर्बिटर की भी मदद ली जाती है, जो मैसेज को फॉरवर्ड करते हैं।

पूरी पृथ्वी को कवर करते हैं TDRS
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​पूरी पृथ्वी को कवर करते हैं TDRS​

नासा ने पृथ्वी के ऊपर तीन TDRS स्थापित किए हैं, जो पूरी पृथ्वी को कवर करते हैं। इनकी मदद से कभी भी अंतरिक्ष में संचार स्थापित किया जा सकता है।

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