नालंदा यूनिवर्सिटी की आज फिर लौट आई शान,खिलजी ने ऐसे कर दिया था तबाह​

बिहार का नालंदा विश्वविद्यालय एक बार फिर चर्चा में है। पीएम नरेंद्र मोदी आज इसके नवनिर्मित परिसर का उद्घाटन किया। नालंदा एक समय दुनिया के लिए शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र हुआ करता था। लेकिन 1193 में विदेशी मुस्लिम आक्रांता बख्तियार खिलजी ने इसे पूरी तरह तबाह कर दिया।

आग की लपटें ज्ञान नहीं मिटा सकतीं
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​आग की लपटें ज्ञान नहीं मिटा सकतीं​

नए परिसर का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि नालंदना भारत की परंपरा एवं पहचान का केंद्र था। आग की लपटें ज्ञान नहीं मिटा सकतीं। नालंदा से विश्व की विरासत जुड़ी है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नालंदा आने के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद दिया। नीतीश ने कहा कि पीएम यहां आए हैं, इसे देखकर वह काफी खुश हैं।और पढ़ें

यह भारत के विकास यात्रा के लिए एक शुभ संकेत
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​​यह भारत के विकास यात्रा के लिए एक शुभ संकेत ​

​पीएम मोदी ने कहा, 'यह मेरा सौभाग्य मुझे नालंदा आने का अवसर मिला है। यह भारत के विकास यात्रा के एक शुभ संकेत के रूप में देखता हूं। नालंदा केवल एक नाम नहीं है। नालंदा एक पहचान और सम्मान है। ​

 भारत के स्वर्णिम युग की शुरुआत
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​ भारत के स्वर्णिम युग की शुरुआत

इसकी पुनर्स्थापना के साथ ही भारत स्वर्णिम युग की शुरुआत करने जा रहा है। अपने प्राचीन अवशेषों के समीप नालंदा का नवजागरण, यह नया कैंपस विश्व को भारत के सामर्थ्य का परिचय देगा। नालंदा बताएगा जो राष्ट्र मजबूत मानवीय मूल्यों पर खड़े होते हैं वे राष्ट्र इतिहास को पुनर्जीवित करके बेहतर भविष्य की नींव रखना जानते हैं।और पढ़ें

प्रमुख और ऐतिहासिक शिक्षा केंद्र
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प्रमुख और ऐतिहासिक शिक्षा केंद्र

11वीं सदी में नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत का एक प्रमुख और ऐतिहासिक शिक्षा केंद्र था। यह आज के आधुनिक यूनिवर्सिटी की तरह ही एक आवासीय विश्वविद्यालय था जहां छात्र और शिक्षक एक ही परिसर में रहते थे।

नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना
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​नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना​

नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 450 ई. में गुप्त सम्राट कुमारगुप्त प्रथम ने की थी। हर्षवर्धन और पाल शासकों के दौर में इसे पूरी तरह संरक्षण मिला। यह बेहद विशाल था और इसमें 300 कमरे, 7 बड़े कक्ष और पढ़ाई के लिए 9 मंजिला विशाल पुस्तकालय था, जिसमें 3 लाख से अधिक किताबें थीं।

10 हजार से अधिक छात्र थे
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​10 हजार से अधिक छात्र थे​

तब 10 हजार से अधिक छात्र और 2700 से अधिक शिक्षक यहां मौजूद थे। छात्रों का चयन उनकी योग्यता के आधार पर होता था। शिक्षा, रहना और खाना मुफ्त था। सिर्फ भारत से ही नहीं, बल्कि कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, ईरान, ग्रीस, मंगोलिया जैसे देशों से भी छात्र यहां पढ़ने आते थे।

देश-विदेश से छात्र आते थे
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​देश-विदेश से छात्र आते थे​

उस दौर में नालंदा विश्वविद्यालय में साहित्य, ज्योतिष, मनोविज्ञान, कानून, खगोलशास्त्र, विज्ञान, युद्धनीति, इतिहास, गणित, वास्तुकला, भाषाविज्ञान, अर्थशास्त्र, चिकित्सा जैसे विषयों की पढ़ाई होती थी। देश-विदेश से छात्र यहां शिक्षा ग्रहण करने के लिए पहुंचते थे।

बख्तियार खिलजी की पड़ी बुरी नजर
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​बख्तियार खिलजी की पड़ी बुरी नजर

लेकिन 1193 में बख्तियार खिलजी की इस पर बुरी नजर पड़ी और उसने आक्रमण कर नालंदा विश्वविद्यालय को बर्बाद कर दिया। उसे विश्वविद्यालय परिसर को तहस नहस कर दिया और विशाल लाइब्रेरी में आग लगा दी जिसमें किताबें महीनों तक जलती रहीं।

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