दुनिया के वो 5 सबसे खूंखार तानाशाह, जिनके नाम से जल्लाद भी कांपते हैं
Most Evil Dictators of The World: दुनिया के जालिम तानाशाहों का इतिहास लिखा जाएगा तो कई देशों के ऐसे खतरनाक हुक्मरानों के नाम सामने आएंगे, जिनकी दास्तां सुनकर जल्लाद भी कांप उठेंगे। उन तानाशाहों की फेहरिस्त बड़ी लंबी है। आपको ऐसे 5 तानाशाहों से रूबरू कराते हैं।
5 सबसे खूंखार तानाशाह
क्या आप जानते हैं कि दुनिया के 5 सबसे खूंखार तानाशाहों में किस-किस की गिनती होती है? दुनिया की तमाम जुल्मों की कहानी इनकी दरिंदगी के आगे छोटी पड़ जाती है। इनमें से कोई सामने वाले को तोप से उड़ा देता है तो कोई कुत्तों का निवाला बना देता है।
1. किम जोंग उन
उत्तर कोरिया के तानाशाह को यूं ही सनकी नहीं कहा जाता है। इस पर सैकड़ों लोगों को तोप से उड़ा देने और फांसी पर चढ़ा देने का इल्जाम है। दुनिया का सबसे नया तानाशाह, नाम किम जोंग उन है। ये अचानक इसलिए सुर्खियों में आया है, क्योंकि इसने अपने ही रक्षा मंत्री को सिर्फ इसलिए तोप से उड़ा दिया, क्योंकि वो एक मीटिंग के दौरान सो गए थे। अपने फूफा को नंगाकर सौ भूखे कुत्तों के आगे इसलिए फेंक दिया था, क्योंकि वो इसकी कुर्सी के लिए खतरा बन गया था।
2. ईदी अमीन
ये नाम यूगांडा का पूर्व आदमखोर तानाशाह का है, जिस पर 6 लाख लोगों के कत्ल का इल्जाम है। ईदी अमीन दादा वर्ष 1971 से 1979 तक युगांडा का सैन्य नेता एवं राष्ट्रपति था। वो क्रूर था, वहशी था, युगांडा के लोग ये जानते थे, लेकिन उसके खिलाफ आवाज़ उठाने की हिम्मत नहीं हुई।
3. कर्नल गद्दाफी
कर्नल मुअम्मर गद्दाफी ने लीबिया पर कुल 42 साल तक राज किया और वे किसी अरब देश में सबसे अधिक समय तक राज करने वाले तानाशाह के रूप में जाने जाते रहे। लीबिया का पूर्व तानाशाह पर हजारों लोगों को मौत के घाट उतार देने का इल्जाम है।
4. सद्दाम हुसैन
इराक का पूर्व राष्ट्रपति पर हजारों लोगों की जान लेने का इल्जाम लगे। सद्दाम हुसैन को सन 1982 में दुजैल शहर में अपने 148 विरोधियों की हत्या के जुर्म में इराक की एक अदालत ने नवंबर 2006 में मौत की सजा सुनाई थी।
5. एडॉल्फ हिटलर
तानाशाहों की बात हो तो सबसे पहले दिमाग में नाम हिटलर का ही आता है। जर्मनी के तानाशाह एडॉल्फ हिटलर को 1930 के दशक में सत्ता मिली थी और वह मानव इतिहास में सबसे बड़ी क्रूरताओं के लिए जिम्मेदार था। हिटलर की विदेश नीतियों के चलते द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत हुई थी, जिसमें पांच से सात करोड़ लोगों की मौत हुई थी। इसके साथ ही उसने लगभग 1.1 करोड़ लोगों की नस्लीय आधार पर व्यवस्थित हत्या का आदेश दिया, जिनमें से 60 लाख लोग यहूदी थे। उसने दूसरे विश्व युद्ध में हार के बाद सोवियत रेड आर्मी की गिरफ्त में आने से बचने के लिए 30 अप्रैल 1945 को आत्महत्या कर ली थी।
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