दूसरे देशों में घुसकर दुश्मनों का खात्मा मोसाद के बाएं हाथ का खेल, कई बार कर चुका है ऐसा कारनामा
Israeli Intelligence Agency Mossad: इजरायली खुफिया एजेंसी 'मोसाद' दुनियाभर में अपने खुफिया ऑपरेशनों को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए जाना जाता है और इजरायल कभी भी अपने दुश्मनों को माफ नहीं करता है। इजरायल ने तेहरान में हमास चीफ इस्माइल हनियेह का खात्मा जिस प्रकार मोसाद से किया उससे यह तो सिद्ध हो गया कि वह दुश्मनों को कभी नहीं छोड़ता है। ऐसा माना जा रहा है कि इजरायल ने इस्माइल हनियेह का खात्मा कर 7 अक्टूबर का बदला ले लिया है।
बेहद सुरक्षित था हिनेयह का ठिकाना
ईरान की राजधानी तेहरान में इस्माइल हनियेह का ठिकाना बेहद सुरक्षित माना जाता था। परिंदा भी बिना इजाजत उस ठिकाने पर फड़फड़ा नहीं सकता था, परंतु मोसाद ने बारीकी के साथ योजना बनाई और अचूक निशाने वाली मिसाइल से हमला कर मौत के घाट उतार दिया। (फोटो: एपी)
अर्जेंटीना से घुसकर हिटलर के करीबी को किया अगवा
मोसाद की योजना कभी विफल नहीं होती है। तभी तो अर्जेटीना में घुसकर मोसाद के खुफिया एजेंटों ने एडोल्फ हिटलर के करीबी एडोल्फ आइशमैन को अगवा किया और विमान से तेल अवीव लेकर आए, जहां पर यहूदियों पर किए गए नरसंहार को लेकर मुकदमा चला और एडोल्फ आइशमैन को फांसी की सजा दी गई। मोसाद ने इस अभियान को 'ऑपरेशन फिनाले' नाम दिया था। और पढ़ें
इराक से उड़ाया था मिग-21
सोवियत संघ ने 60 के दशक में मिस्र, लेबनान और इराक को मिग-21 लड़ाकू विमान बेचे थे। जिसकी बदौलत यह देश इजरायल को आंखें दिखा रहे थे। ऐसे में मोसाद ने इन देशों को सबक सिखाने के लिए 'ऑपरेशन डायमंड' नाम को अंजाम दिया। हालांकि, मोसाद के शुरुआती दो प्रयास विफल रहे, लेकिन तीसरी बार एक महिला एजेंट ने एक इराकी पायलट को अपने खेमे में लेकर इराक से मिग-21 लड़ाकू विमान ही गायब कर दिया, जिसकी 16 अगस्त, 1966 को इजरायल में लैंडिंग हुई।और पढ़ें
ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड
फलस्तीनी चरमपंथी दल ब्लैक सेप्टेम्बर ने 1972 में म्यूनिख शहर में चल रहे ओलंपिक खेलों के दौरान इजरायल के 11 खिलाड़ियों और एक जर्मन पुलिस अधिकारी को मौत के घाट उतारा था। इससे नाराज इजरायल ने 'ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड' चलाया और जिम्मेदार लोगों की शिनाक्त कर उनका खात्मा किया। दुश्मनों को मारने का 'मोसाद' का एक खास स्टाइल था। पहले वह उन्हें गुलस्ता भेजते या पत्रिकाओं में विज्ञापन प्रकाशित करते और फिर उनका खात्मा करते थे। (फोटो: एपी)और पढ़ें
सीरिया से निकाली खुफिया जानकारी
60 के दशक में सीरिया और इजरायल के संबंधों में खटास आ गई थी। ऐसे में इजरायल ने सीरियाई मूल के यहूदियों के बेटे एली कोहेन को मोसाद में शामिल किया और उन्हें अर्जेंटीना भेजा गया, जहां पर एली कोहेन राजनयिकों, फौजी अफसरों के संपर्क में रहे। एक समय ऐसा था जब एली कोहेन के सबसे करीबी व्यक्ति सीरिया के राष्ट्रपति बने। एली कोहेन की बदौलत इजरायल को कई खुफिया जानकारी भी मिली थी, लेकिन अंतत: बार-बार जानकारी लीक होने पर सीरिया ने सोवियत संघ की मदद ली और एली कोहेन को गिरफ्तार कर फांसी दी गई। इजरायल आज भी एली कोहेन को हीरो मानता है।और पढ़ें
परमाणु विज्ञानी का खात्मा
परमाणु कार्यक्रम को लेकर इजरायल और ईरान के बीच संबंध बेहद तल्ख हो गए थे। ऐसे में बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में साल 2011 ईरानी परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख कार से यात्रा कर रहे थे तभी बगल से गुजरी एक बाइक ने कार में एक छोटा सा डिवाइस चिपका दिया। जिसके कुछ समय बाद ही कार में धमाका हुआ और परमाणु वैज्ञानिक की मौत हो गई।और पढ़ें
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