क्या होता है पॉलीग्राफ टेस्ट, नार्को टेस्ट से कितना है अलग, जानिए दोनों का अंतर

कोलकाता रेप केस में आरोपी के पॉलीग्राफ टेस्ट के बाद एक बार फिर से ऐसे टेस्टों की चर्चा शुरू हो गई है। कोई कह रहा है कि आरोपी का पॉलीग्राफ टेस्ट क्यों हो रहा है, नार्को क्यों नहीं? तो आइए समझते हैं कि पॉलीग्राफ टेस्ट क्या होता है, नार्को टेस्ट क्या होता है। पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट में अंतर क्या होता है?

पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट दोनों होता है अलग-अलग
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पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट दोनों होता है अलग-अलग

पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट दोनों अलग-अलग हैं। इसके बारे में लोगों में कन्फ्यूजन रहा है कि नार्को और पॉलीग्राफ टेस्ट एक ही होता है। अक्सर आप जुर्म को साबित करने के लिए पुलिस की तरफ से यह कहते सुनते हैं कि अमुख आरोपी का पॉलीग्राफ टेस्ट या नार्को टेस्ट होगा जिसके जरिए सच्चाई का पता चलेगा।

पॉलीग्राफी टेस्ट क्या है
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पॉलीग्राफी टेस्ट क्या है?

पॉलीग्राफी टेस्ट इंसान के सच और झूठ का पता लगाने के लिए किया जाता है। सामान्य भाषा में इसे लाई डिटेक्टर टेस्ट भी कहा जाता है। इसमें कुछ मशीनों का प्रयोग किया जाता है जिसके जरिए अपराधी या आरोपी का झूठ पकड़ा जाता है।

पॉलीग्राफ टेस्ट में क्या होता है
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पॉलीग्राफ टेस्ट में क्या होता है

पॉलीग्राफ मशीन को आरोपी के शरीर के साथ अटैच किया जाता है और इसके सेंसर्स से आ रहे सिग्नल को एक मूविंग पेपर (ग्राफ) पर रिकॉर्ड किया जाता है। इसी के जरिए पता लगाया जाता है कि वह व्यक्ति सच बोल रहा है या झूठ।

कैसे चलता है सच का पता
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कैसे चलता है सच का पता

पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान उसके बीपी से लेकर हृदय के धड़कन तक की सघन गणना की जाती है। इस प्रक्रिया में आरोपी को कोई इंजेक्शन नहीं दिया जाता है। आरोपी का यह टेस्ट पूरे होशोहवास में होता है।

कौन बनाता है पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए मशीन
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कौन बनाता है पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए मशीन

प्रेस्टो इंफोसॉल्यूशंस, मेडिकैम और रिलायबल टेस्टिंग सॉल्युशंस जैसी कंपनियां भारत में पॉलीग्राफी मशीन का उत्पादन करती हैं या पॉलीग्राफ टेस्ट डिवाइस और अन्य फोरेंसिक डिवाइस प्रोवाइड कराती हैं।

क्या होता है नार्को टेस्ट
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क्या होता है नार्को टेस्ट

वहीं नार्को टेस्ट के बारे में बता दें इस टेस्ट के दौरान आरोपी को सोडियम पेंटोथल की डोज इंजेक्शन के जरिए दी जाती है। जिससे आरोपी बेहोशी की स्थिति में आ जाता है। इस दौरान उसका दिमाग पूरी तरह से सक्रिय रहता है। नार्को टेस्ट से पहले व्यक्ति का फिटनेस टेस्ट किया जाता है।

लेनी पड़ती है कोर्ट से अनुमति
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लेनी पड़ती है कोर्ट से अनुमति

वैसे आपको बता दें कि आरोपी के दोनों ही प्रकार के टेस्ट के लिए अदालत की मंजूरी लेना जरूरी होता है। इसके साथ ही जिस शख्स का टेस्ट होना है उसकी सहमति भी इसके लिए जरूरी होती है। कई देशों में यह पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं।

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