अगर धरती की सीना चीर निकल आया सबसे बड़ा महासागर तो डूब जाएगी पूरी पृथ्वी, 700 KM अंदर उफन रही हैं लहरें

धरती का वर्तमान 71 प्रतिशत हिस्सा पानी से भरा है। धरती पर कुल 1,400 मिलियन घन किलोमीटर पानी मौजूद है। यह काफी बड़ा है। जो फैल जाए तो पूरी पृथ्वी डूब जाए, अब जरा सोचिए, धरती पर जितना पानी उससे कई गुणा ज्यादा का एक और महासागर निकल आए तो क्या होगा, जीवन रहेगा या फिर प्रलय आ जाएगा। धरती के 700 KM अंदर एक ऐसा ही महासागर छिपा मिला है। जिसमें धरती पर मौजूद महासागरों से तीन गुना पानी है। धरती से कई सौ किलोमीटर अंदर इस महासागर का की लहरें उफन रही है, जो भविष्य में किसी प्राकृतिक घटना के बाद पृथ्वी की सतह पर आ सकता है और यह निश्चित है कि तब तबाही आएगी।

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कहां छिपा है धरती के नीचे का महासागर

भूभौतिकीविद् स्टीवन जैकबसन के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने पृथ्वी के मेंटल के भीतर एक विशाल जल भंडार की खोज की है। यह छिपा हुआ महासागर रिंगवुडाइट नामक खनिज के भीतर समाया हुआ है। रिंगवुडाइट नामक यह चट्टान चमकीले नीले रंग की है और पृथ्वी के मेंटल में केवल उच्च तापमान और दबाव पर ही बनती है।

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धरती के नीचे समुद्र का कैसे चला पता

वैज्ञानिकों ने पूरे अमेरिका में 2,000 सीस्मोग्राफ का नेटवर्क तैनात किया, जो पृथ्वी के अंदर की हल्की सी हलचल को भी सुनने की क्षमता रखते थे।। 500 से अधिक भूकंपों के हल्के झटकों का विश्लेषण करके, उन्होंने भूकंपीय तरंगों में एक अजीब सी स्लोडाउन को नोट किया, ये तरंगें मेंटल के विशिष्ट क्षेत्रों से गुज़री थीं। यह स्लोडाउन की स्थिति पानी की उपस्थिति का संकेत देती है, जो चट्टान के भीतर स्पंज की तरह काम करता है।

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पृथ्वी पर पानी कहां से आया?

यह खोज पृथ्वी के जल चक्र के बारे में हमारी समझ को पूरी तरह से बदल देती है। यह संकेत देता है कि पानी सिर्फ सतही घटना नहीं है, बल्कि संभवतः मेंटल के भीतर मौजूद है, जो दरारों से होकर निकलता है।

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धरती के नीचे मौजूद महासागर पर क्या कहते हैं वैज्ञानिक

जैकबसन इस जलाशय के महत्व पर जोर देते हुए कहते हैं, "इस आंतरिक जल स्रोत के बिना, पृथ्वी की सतह संभवतः एक बंजर परिदृश्य होगी, जिसमें केवल विशाल महासागर से बाहर झांकने वाली पर्वत चोटियाँ होंगी।"

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कितना बड़ा है धरती के नीचे छिपा महासागर

वैज्ञानिकों ने पानी के जिस विशाल भंडार की पहचान की है, वो पृथ्वी पर मौजूद महासागरों के कुल आयतन से तीन गुना अधिक है। यानि तीन गुना बड़ा है। यह भूमिगत जल निकाय ग्रह के भीतर गहराई में स्थित है, पृथ्वी की सतह से लगभग 700 किमी नीचे।

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पृथ्वी का छठा महासागर

धरती के नीचे छिपे इस महासागर को छठा महासागर बताया जा रहा है। हालाँकि, यह महासागर उससे अलग है जिसे हम आमतौर पर धरती पर मौजूद महासागर समझते हैं। तरल पानी के बजाय यह एक अलग ही फॉर्म में वहां मौजूद है। वैज्ञानिक इसे लेकर कहते हैं- पृथ्वी के मेंटल संक्रमण क्षेत्र (410 से 660 किलोमीटर गहराई) में खनिजों की उच्च जल भंडारण क्षमता एक गहरे H2O भंडार की संभावना को दर्शाती है, जो ऊर्ध्वाधर रूप से बहने वाले मेंटल के निर्जलीकरण पिघलने का कारण बन सकता है।

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सतह पर आ जाए यह महासागर तो क्या होगा

अगर धरती पर अचानक से यह छिपा हुआ महासागर आ जाएगा तो प्रलय आना पक्का है। आज की तारीख में धरती पर जो मौजूद पानी है अगर उसे फैला दिया जाए तो 3,000 मीटर की मोटी परत बिछ सकती है। ऐसे में अगर धरती के नीचे से यह महासागर निकल कर धरती की सतह पर आ जाएगा तो जीवन संकट में पड़ सकता है।