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भाग खड़ा हुआ पाकिस्तान, जब इंडियन एयरफोर्स ने पहली बार युद्ध में लेजर गाइडेड बम का किया इस्तेमाल

Indian Air Force in Kargil War: कारगिल युद्ध की फतह में इंडियन एयरफोर्स और इंडियन नेवी की बड़ी भूमिका थी। इस जंग में भारतीय वायुसेना के शामिल होने से पहले थलसेना ने मोर्चा संभाल रखा था। करीब दो महीने तक चलने वाला कारगिल वॉर में इंडियन एयरफोर्स ने नियंत्रण रेखा को पार नहीं किया, इसके बावजूद इंडियन फाइटर प्लेन्स ने पाकिस्तान में दहशत पैदा कर दी थी।

इंडियन एयरफोर्स का पहला हमला इंडियन एयरफोर्स का पहला हमला
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इंडियन एयरफोर्स का पहला हमला

कारगिल युद्ध में भारतीय वायुसेना का पहला हमला 26 मई, 1999 को सुबह 6:30 बजे शुरू हुआ। जिसमें मिग-21, मिग-27 एमएल और मिग-23 बीएन लड़ाकू विमानों ने हिस्सा लिया था। कारगिल युद्ध के दौरान इंडियन एयर फोर्स ने अपनी पूरी ताकत के साथ पाकिस्तान पर हमले की तैयारी भी कर ली थी।

मिग-27 एल उड़ा रहे थे के नचिकेता मिग-27 एल उड़ा रहे थे के नचिकेता
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मिग-27 एल उड़ा रहे थे के. नचिकेता

कारगिल युद्ध में इंडियन एयरफोर्स के ऑपरेशन में फ्लाइट लेफ्टिनेंट के नचिकेता मिग-27 एल उड़ा रहे थे। नचिकेता को कारगिल के बटालिक सेक्‍टर से दुश्‍मन को खदेड़ने की जिम्‍मेदारी दी गई थी उनके एयरक्राफ्ट के इंजन को पाकिस्‍तान की स्टिंगर मिसाइल ने हिट किया और उनका जेट क्रैश हो गया। नचिकेता का जेट तो भारतीय सीमा में गिरा लेकिन वे पीओके में जा गिरे। नचिकेता को पाकिस्‍तान की सेना ने पकड़ लिया और वह पहले प्रिजनर ऑफ वॉर माने गए। पाक सेना उन्‍हें लेकर रावलपिंडी गई और यहां पर उन्‍हें बुरी तरह से पीटा गया। नचिकेता करीब एक हफ्ते तक बंदी रहे और तीन जून 1999 को पाक ने उन्‍हें रिहा किया गया था।

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पहली लेजर गाइडेड बम का हुआ इस्तेमाल!

24 जून, 1999 को मिराज 2000 ने टाइगर हिल के शीर्ष पर पाकिस्तानी सेना के ठिकानों पर बम गिराए। भारतीय वायुसेना के इस हमले के कुछ मिनट बाद लक्ष्य को ध्वस्त कर दिया गया। इस युद्ध में भारतीय वायुसेना ने पहली बार युद्ध में लेजर गाइडेड बम का इस्तेमाल था। इंडियन एयरफोर्स ने उन ठिकानों पर बमबारी की थी जिनपर पाकिस्तान का कब्जा था। ग्वालियर के महाराजपुरा एयरबेस में वायुसेना के एयरक्राफ्ट मिराज-2000 को लेजर गाइडेड बम से लैस किया गया था।

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भारतीय वायुसेना को मिला नौसेना का साथ

कारगिल युद्ध में नौसेना ने भी अहम भूमिका निभाई। भारतीय नौसेना ने भी वायुसेना के साथ कदम मिलाते हुए, कराची के बंदरगाह को निशाने पर ले लिया था। 20 मई से जल सेना भी कारगिल युद्ध में शामिल हो गयी थी। नौसेना और कोस्टगार्ड के विमान चौबीसों घंटे सर्विलांस पर लगाए दिए गए थे जिससे पाकिस्तान पर दबाव बनाया जा सके।

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ऑपरेशन तलवार से पाकिस्तान हुआ बेहाल

भारतीय नौसेना की हरकत में आने की वजह से पाकिस्तान का ध्यान गल्फ से उसके तेल व्यापार को प्रभावित होने की तरफ लग गया। भारत की तरफ से आक्रमण की आशंका में पाकिस्तान ने रैपिड एक्शन मिसाइलों को नॉर्थ अरेबियन सी की तरफ भेज दिया। एक ओर कारगिल में भारतीय सेना पाक के खिलाफ कार्रवाई तेज कर रही थी, तो दूसरी ओर वह पाक पोतों को ब्लॉक करने की तैयारी कर चुकी थी। इंडियन नौसेना के इस मिशन को ऑपरेशन तलवार नाम दिया गया था। नौसेना के एक्टिव होने से पाकिस्तान दबाव में आ गया था।