बुलेट प्रूफ कार और खास हेलीकॉप्टर की सुविधा, जानें RSS प्रमुख को मिली ASL सिक्योरिटी कितनी एडवांस है?
ASL Security: केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत की सुरक्षा बढ़ा दी है। उनके पास पहले से ही जेड प्लस सुरक्षा थी, लेकिन अब असे अपडेट करते हुए आरएसएस प्रमुख को एडवांस सिक्योरिटी लियाजन (ASL) सिक्योरिटी प्रदान की गई तो चलिए ऐसे में समझते हैं कि आखिर ASL सिक्योरिटी कितनी एडवांस है और जेड प्लस सुरक्षा से कितनी अलग है।
मोहन भागवत की क्यों बढ़ाई गई सुरक्षा?
देश की खुफिया एजेंसियों ने हाल ही में मोहन भागवत को लेकर थ्रेट अलर्ट जारी किया था। जिसके बाद आरएसएस प्रमुख की सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ाने का निर्णय लिया गया। इसी के तहत उन्हें ASL सिक्योरिटी मुहैया कराई गई है।
क्या है ASL सिक्योरिटी?
ASL सिक्योरिटी हर किसी को मुहैया नहीं कराई जाती है। ऐसे में एक खास तरह का प्रोटोकॉल लागू होता है, जो देश के प्रधानमंत्री, गृह मंत्री जैसे चुनिंदा लोगों पर लागू है।
ASL सिक्योरिटी में क्या कुछ है अलग?
एएसएल सिक्योरिटी के तहत अब मोहन भागवत जहां भी जाएंगे उस जगह को अच्छी तरह से सीआईएसएफ की एक टीम चेक करेगी और तमाम तरह के इंतजामों का रिव्यू करेगी। इसके बाद ही आरएसएस प्रमुख उस जगह या स्थान का दौरा करेंगे या बैठक में शामिल होंगे। (फोटो साभार: ANI)
एडवांस सुरक्षा व्यवस्था
आरएसएस प्रमुख अब एक बुलेट प्रूफ कार के जरिये सफर करेंगे। साथ ही अब वह किसी सामान्य हेलीकॉप्टर से यात्रा नहीं कर पाएंगे। उनके लिए एक खास चॉपर की व्यवस्था की जाएगी।
लोकल टीम भी होती हैं तैनात
लोकल टीमों की भी तैनाती होती है। एएसएल के तहत सीआईएसएफ के एसएसजी की अग्रिम टीम, स्थानीय पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मिलकर काम करती है। आसान भाषा में कहें तो आरएसएस प्रमुख जहां भी जाएंगे उनकी सुरक्षा में यह तमाम टीमें तैनात रहेंगी। (फोटो साभार: ANI)
अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल
एएसएल सिक्योरिटी एक तरह का सुरक्षा प्रोटोकॉल है, जो यह सुनिश्चित करता है कि वीआईपी व्यक्ति की सुरक्षा हर वक्त, हर जगह सुनिश्चित करता है। ऐसे में अत्याधुनिक उपकरणों से लेकर तकनीक तक का सहारा लिया जाता है।
कम-ज्यादा हो सकते हैं सुरक्षाकर्मी
एएसएल सिक्योरिटी जेड प्लस सुरक्षा का ही अपडेट वर्जन है। जेड प्लस में CRPF के 55 सशस्त्र कर्मियों के एक इज को नियुक्त किया गया है। हालांकि, एएसएल प्रोटोकॉल में सुरक्षाकर्मियों की संख्या खतरे के आधार पर कम या ज्यादा हो सकती है।
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