कौन हैं नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस जो बने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया

गरीबों के बैंकर के रूप में पहचाने जाने वाले मोहम्मद यूनुस और उनके द्वारा स्थापित ग्रामीण बैंक को 2006 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला चुका है। उनके कर्ज देने के मॉडल ने दुनिया भर में ऐसी कई योजनाओं को प्रेरित किया। इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे विकसित देश भी शामिल हैं, जिसने ​मोहम्मद यूनुस के मॉडल को अपनाया।

नोबेल पुरस्कार विजेता
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​​नोबेल पुरस्कार विजेता​

नोबेल पुरस्कार विजेता और ग्लोबल माइक्रोक्रेडिट आंदोलन के जनक मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार का मुखिया चुना गया है। मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के विरोधी हैं। शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना के पीछे एक प्रमुख कारण इन्हें भी माना जा रहा है। और पढ़ें

गरीबों के बैंकर
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​​'गरीबों के बैंकर'​

'गरीबों के बैंकर' के रूप में पहचाने जाने वाले मोहम्मद यूनुस और उनके द्वारा स्थापित ग्रामीण बैंक को 2006 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला चुका है। उन्होंने गांव में रहने वाले गरीबों को 100 डॉलर से कम के छोटे-छोटे कर्ज दिलाकर लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद की थी।

मोहम्मद यूनुस
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​​मोहम्मद यूनुस​

मोहम्मद यूनुस के कर्ज देने के इस मॉडल ने दुनिया भर में ऐसी कई योजनाओं को प्रेरित किया। इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे विकसित देश भी शामिल हैं। अमेरिका में मोहम्मद यूनुस ने एक अलग गैर-लाभकारी संस्था ग्रामीण अमेरिका की भी शुरुआत की। 84 वर्षीय यूनुस जैसे-जैसे सफल होते गए उनका झुकाव राजनीति में करियर बनाने की ओर बढ़ता चला गया। उन्होंने 2007 में अपनी खुद की पार्टी भी बनाने की कोशिश की। लेकिन जब उनकी इस महत्वाकांक्षा ने बड़ा रूप लेना शुरू किया तब शेख हसीना नाराज हो गई। शेख हसीना ने मोहम्मद यूनुस पर 'गरीबों का खून चूसने' का आरोप भी लगाया था।और पढ़ें

शेख हसीना सरकार
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​​शेख हसीना सरकार ​

2011 में शेख हसीना सरकार ने उन्हें ग्रामीण बैंक के प्रमुख के पद से हटा दिया था। तब सरकार का कहना था कि कि 73 वर्ष के मोहम्मद यूनुस 60 वर्ष की कानूनी सेवानिवृत्ति की आयु के बाद भी पद पर बने हुए थे। तब लोगों ने उनकी बर्खास्तगी का विरोध किया था। हजारों बांग्लादेशियों ने विरोध में मानव श्रृंखला बनाई थी।

 श्रम कानून
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​​ श्रम कानून​

इसी साल जनवरी में मोहम्मद यूनुस को श्रम कानून के उल्लंघन के लिए छह महीने की जेल की सजा सुनाई गई थी। जून में बांग्लादेश की एक अदालत ने मोहम्मद यूनुस और 13 अन्य लोगों पर उनके द्वारा बनाए गए एक दूरसंचार कंपनी में वहां काम करने वाले लोगों के कल्याण कोष से 252.2 मिलियन टका (2 मिलियन डॉलर) के गबन के आरोप में मुकदमा भी चलाया था। और पढ़ें

मोहम्मद यूनुस पर लग चके है भ्रष्टाचार के आरोप
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​​मोहम्मद यूनुस पर लग चके है भ्रष्टाचार के आरोप ​

मोहम्मद यूनुस पर भ्रष्टाचार और अन्य कई आरोपों के 100 से अधिक अन्य मामले चल रहे हैं। हालांकि, मोहम्मद यूनुस ने ऐसे किसी भी तरह को आरोपों से इनकार किया। इसी साल जून में शेख हसीना की आलोचना करते हुए यूनुस ने कहा था कि बांग्लादेश में कोई राजनीति नहीं बची है। केवल एक पार्टी है जो सक्रिय है और हर चीज पर कब्जा करती है। और वो अपने तरीके से चुनाव जीतती है।और पढ़ें

मोहम्मद यूनुस ने टाइम्स नाउ से बात की
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​​मोहम्मद यूनुस ने टाइम्स नाउ से बात की​

मोहम्मद यूनुस ने टाइम्स नाउ से बात करते हुए सोमवार को कहा था कि शेख हसीना के देश से बाहर निकलने के बाद 1971 में पाकिस्तान से आजादी के लिए लड़े गए युद्ध के बाद यह बांग्लादेश के लिए दूसरा मुक्ति दिवस है। मोहम्मद यूनुस फिलहाल पेरिस में हैं और वहां एक मामूली मेडिकल प्रक्रिया से गुजर रहे हैं। उनके प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने शेख हसीना के खिलाफ अभियान का नेतृत्व करने वाले छात्रों के अनुरोध पर सहमति जताई है जिनमें उन्हें अंतरिम सरकार का मुख्य सलाहकार बनाए जाने की बात कही गई है।और पढ़ें

मोहम्मद यूनुस
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​​मोहम्मद यूनुस​

मोहम्मद यूनुस ने नोबेल पुरस्कार लेते समय अपने भाषण में कहा था कि मेरे लिए यह गुलाम मजदूरों को भर्ती करने का एक तरीका था। तब उन्होंने 42 ऐसे लोगों को ढूंढा जिन्होंने साहूकार से कुल 27 डॉलर उधार लिए थे और उन्हें खुद के पैसे उधार दिए। इसकी सफलता ने उन्हें और अधिक कर्ज देने के लिए प्रेरित किया। मोहम्मद यूनुस ने कहा था कि कर्ज देने के बाद मुझे जो परिणाम मिले उससे मैं चकित रह गया। गरीबों ने हर बार समय पर ब्याज चुकाया। और पढ़ें

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