हाथरस भगदड़ में किसका हाथ? SIT रिपोर्ट से खुलेंगे कई दफ्न राज, असली 'कातिल' का चेहरा आएगा सामने
हाथरस में मची भगदड़ में 123 लोगों की मौत अबतक हो चुकी है। एक बाबा के प्रवचन सुनने गए लोगों में कई अब कभी घर नहीं लौटेंगे। सवाल ये है कि इन 123 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है? इनका कातिल कौन है? सरकार को अब प्रारंभिक SIT रिपोर्ट मिल चुकी है। जिससे असली कातिल का चेहरा सामने आ सकता है।
हाथरस भगदड़ SIT रिपोर्ट में क्या
उत्तर प्रदेश के हाथरस में 2 जुलाई को धार्मिक समागम में मची भगदड़ में 123 लोगों की मौत के मामले में SIT ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट में 90 लोगों से गवाही ले गई है। इस रिपोर्ट में साजिश की बात से इनकार नहीं किया गया है।
SIT की कमान किसके पास
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (आगरा जोन) कुलश्रेष्ठ तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का नेतृत्व कर रहे हैं। इस रिपोर्ट को लेकर एडीजी कुलश्रेष्ठ ने कहा- "अब तक 90 बयान दर्ज किए गए हैं। प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी गई है, जबकि विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है।"
जांच का दायरा बढ़ा
पुलिस जांच की स्थिति के बारे में अधिकारी ने कहा कि अधिक साक्ष्य सामने आने के बाद जांच का दायरा बढ़ा दिया गया है। विस्तृत रिपोर्ट में जारी जानकारी दी जाएगी।
SIT की गोपनीय रिपोर्ट
गोपनीय रिपोर्ट में हाथरस के जिला मजिस्ट्रेट आशीष कुमार, पुलिस अधीक्षक निपुण अग्रवाल और स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के बयान शामिल हैं। जिन्होंने भगदड़ के कारण उत्पन्न आपातकालीन स्थिति का जायजा लिया था।
हाथरस भगदड़ का जिम्मेदार कौन
अभी तक की जो रिपोर्ट से जानकारी बासिल हुई है उसमें निश्चित रूप से कार्यक्रम के आयोजकों की ओर से की गईं खामियों का संकेत मिलता।
हाथरस भगदड़ केस में कितने गिरफ्तार
गिरफ्तार किए गए छह आरोपियों के अलावा, अन्य लोगों की भूमिका का पता लगाने के लिए कई अन्य लोगों से पूछताछ की जा रही है। घटना के मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर को पकड़ने के लिए राज्य के साथ-साथ पड़ोसी राजस्थान तथा हरियाणा में तलाश शुरू कर दी है।
सबसे ज्यादा महिलाओं की मौत
हाथरस जिले के फुलरई गांव में दो जुलाई को ‘भोले बाबा’ के सत्संग के बाद मची भगदड़ में कुल 123 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें अधिकतर महिलाएं थीं। पुलिस ने इस मामले में भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), 110 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना), 223 (लोक सेवक द्वारा जारी आदेश की अवज्ञा), 238 (साक्ष्यों को मिटाना) के तहत मुकदमा दर्ज किया था।
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