गंगा की बहन वो नदी जिसके किनारे कभी स्वयं भगवान रचाते थे लीला; आज हालत है ऐसी कि पीने लायक भी नहीं बचा है पानी
हिमालय से निकलकर उत्तराखंड़, हरियाणा, दिल्ली के रास्ते यूपी के प्रयागराज में गंगा से मिलने वाली यमुना, की हालत आज बदतर हो चुकी है। यमुना को गंगा की बहन माना जाता है, दोनों नदियां हिमालय से ही निकलती हैं, हालांकि दोनों के रास्ते हिमालय से निकलने के बाद अलग हो जाते हैं, लेकिन गंगा-यमुना का संगम प्रयागराज में हो जाता है। कभी यमुना स्वच्छ हुआ करती थी, पानी साफ हुआ करता था, आज यमुना कई जगह एक नाले की तरह दिखती है, यमुना का पानी कई जगहों पर पीने लायक नहीं रह गया है।

हिंदू धर्म में यमुना का महत्व
यमुना नदी भारत की एक प्रमुख नदी है, जो उत्तर भारत में बहती है। यह नदी भारतीय सभ्यता और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा रही है और इसका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व भी अत्यधिक है। यमुना नदी का इतिहास बहुत पुराना है, और यह विशेष रूप से हिन्दू धर्म में एक पवित्र नदी मानी जाती है।

कभी यमुना किनारे भगवान कृष्ण दिखाते थे अपनी लीला
यमुना नदी का उल्लेख भारतीय वेदों और पुराणों में मिलता है। यह विशेष रूप से महाभारत और रामायण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यमुना को भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी हुई नदी माना जाता है, क्योंकि उनका बचपन और युवावस्था यमुना के किनारे बसी वृंदावन और मथुरा में बिता। यमुना को गंगा की बहन माना जाता है, और इसे हिन्दू धर्म में एक पवित्र नदी माना जाता है। श्रद्धालु यमुना नदी में स्नान करते हैं, विशेष रूप से मथुरा और वृंदावन के स्थानों पर।

कहां से निकलती है यमुना और किन राज्यों से बहती है
यमुना नदी का उद्गम यमुनोत्री (उत्तराखंड) से होता है। यह नदी उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली होते हुए उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों से बहती है। यह उत्तराखंड से निकलकर उत्तर प्रदेश और हरियाणा के सीमा क्षेत्रों से गुजरते हुए दिल्ली तक पहुंचती है। यहां से वापस यह यूपी में प्रवेश करती है और मथुरा-आगरा होते हुए प्रयागराज पहुंचती है।

राजाओं की पसंदीदा रही यमुना
प्राचीन काल में यमुना नदी के किनारे कई सभ्यताएँ विकसित हुईं, जैसे कि मथुरा और वृंदावन, जो भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रमुख केंद्र बने। यमुना नदी के किनारे अनेक किलों और शहरों का निर्माण हुआ, जैसे दिल्ली और आगरा। दिल्ली में यमुना नदी के किनारे लाल किला और जामा मस्जिद जैसे ऐतिहासिक स्थल स्थित हैं। मुगल काल में, यमुना नदी के किनारे बहुमूल्य किले और बाग बनवाए गए। आगरा किला और ताज महल जैसे स्थलों का निर्माण भी यमुना के किनारे हुआ।

यमुना बुझाती रही है कई राज्यों की प्यास
यमुना नदी न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्रीय जल आपूर्ति का भी एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह कृषि, जलविद्युत उत्पादन और अन्य औद्योगिक उद्देश्यों के लिए भी पानी प्रदान करती है। हालांकि, आजकल इसके पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में कई चुनौतियां हैं, खासकर प्रदूषण के कारण।

धार्मिक-सांस्कृतिक और पर्यावरण में यमुना का योगदान
यमुना नदी भारतीय जीवन के विभिन्न पहलुओं से जुड़ी हुई है, और इसकी महिमा आज भी बनी हुई है। यह न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यावरण और जीवन के लिए भी इसका योगदान है।

यमुना का पानी कई जगहों पर पीने योग्य नहीं
आजकल यमुना नदी का पानी प्रदूषण से बहुत प्रभावित है। मुख्य रूप से उद्योगों, शहरों और किसानों से निकलने वाले कचरे और रसायनों के कारण पानी की गुणवत्ता में गिरावट आई है। दिल्ली और अन्य प्रमुख शहरों के पास यमुना नदी का पानी बहुत प्रदूषित हो चुका है, जिससे इसे पीने के योग्य नहीं समझा जाता। हालांकि, कई सरकारी योजनाएं और परियोजनाएँ यमुना नदी के पानी की सफाई और पुनर्जीवित करने के लिए चल रही हैं।

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