क्या भीषण तबाही से पृथ्वी पर हुई जीवन की शुरुआत? इस रिसर्च ने उठाया रहस्यों से पर्दा

The origin of life on Earth: एस्टेरॉयड या कहें क्षुद्रग्रह को पृथ्वी के लिए खतरा माना जाता है। तभी तो अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) पृथ्वी के करीब आने वाली आसमानी वस्तुओं को निगरानी करता है और समय-समय पर अलर्ट भी जारी करता है। आप लोग ये तो जानते ही होंगे कि पृथ्वी से जब एक एस्टेरॉयड टकराया था तो डायनासोर सहित कई जीव विलुप्त हो गए थे, लेकिन यह सबसे बड़ा एस्टेरॉयड नहीं था। इससे करोड़ों साल पहले एक विशालकाय उल्कापिंड पृथ्वी से टकराया था।

भीषण तबाही मचाने वाला उल्कापिंड
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भीषण तबाही मचाने वाला उल्कापिंड

एक रिसर्च के मुताबिक, 3.26 अरब साल पहले एक उल्कापिंड धरती से टकराया था जिसने भयंकर तबाही मचाई, लेकिन ये तबाही जीवन के विकास के लिए लाभदायक साबित हुई। (फोटो साभार: Copilot AI)

कितना बड़ा था उल्कापिंड
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कितना बड़ा था उल्कापिंड?

सबसे दिलचस्प बात तो ये है कि यह उल्कापिंड डायनासोर को विलुप्त करने वाले एस्टेरॉयड से लगभग 200 गुना ज्यादा बड़ा था। वैज्ञानिकों की एक टीम ने दक्षिणी अफ्रीका के ईस्टर्न बार्बेटन ग्रीनबेल्ट इलाके की चट्टानों के नमूनों को एकत्रित कर उनका विस्तृत अध्ययन किया। (फोटो साभार: Copilot AI)

तेजी से फला-फूला जीवन
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तेजी से फला-फूला जीवन

'प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल अकादमी ऑफ साइंसेज' नामक पत्रिका में विशालकाय उल्कापिंड की टक्कर से जुड़ा अध्ययन प्रकाशित हुआ। इस रिसर्च में शामिल हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की भूवैज्ञानिक नादया ड्राबॉन ने बताया कि परिस्थितियों के सामान्य होने पर जीवन तेजी से फला-फूला। (फोटो साभार: Copilot AI)

पृथ्वी से टकराया उल्कापिंड
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पृथ्वी से टकराया उल्कापिंड

बकौल रिपोर्ट, पृथ्वी से उल्कापिंड की टक्कर इतनी ज्यादा विनाशकारी थी कि उल्कापिंड और टकराव वाली चट्टान दोनों ही वाष्पित हो गई थी। इस टक्कर की वजह से वाष्प और धूल के कण चारों ओर फैल गया और आसमान काला हो गया था। इस उल्कापिंड का नाम S2 बताया जा रहा है। (फोटो साभार: Copilot AI)

वातावरण को ठंडा होने में लगे कई साल
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वातावरण को ठंडा होने में लगे कई साल

बकौल भूवैज्ञानिक, वातावरण को ठंडा होने और धूल को बैठने में कई साल लगे होंगे। रिपोर्ट के मुताबिक, उल्कापिंड की वजह से बड़ी संख्या में फॉस्फोरस प्रकट हुआ जिसकी बदौलत सूक्ष्यजीव फले-फूले। उल्कापिंड की वजह से आई सुनामी ने गहराई में मौजूद लौह तत्व से भरपूर पानी को सतह पर ला दिया जिसकी मदद से सूक्ष्मजीवों के लिए बढ़िया वातावरण विकसित हो सका। (फोटो साभार: Copilot AI)और पढ़ें

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