अंतरिक्ष में खाना कैसे गर्म होता है, क्या ठंडा ही खाते हैं एस्ट्रोनॉट्स?

अंतरिक्ष यात्रियों की जिंदगी हमेशा रोमांच से भरी होती है। स्पेस में उन्हें कई अलग-अलग तरह के चैलेंजेस का सामना करना पड़ता है। ऐसे में इन अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर साइंस के स्टूडेंट्स से लेकर आम लोगों तक में कई सवाल होते हैं। जैसे- अंतरिक्ष यात्री वहां क्या करते हैं? क्या खाते हैं? कैसे रहते हैं? अब अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ही लंबे समय से वहां फंसी हुई हैं, ऐसे में लोगों के मन में सवाल है कि क्या स्पेस में अंतरिक्ष यात्रियों को ठंडा खाना ही खाना पड़ता है, वहां पर खाना गर्म करने के लिए क्या करना होता है? चलिए जानते हैं...

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धरती से ही अंतरिक्ष में भेजा जता है खाना

अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर एक भ्रम तो यहीं दूर कर लेना चाहिए कि अंतरिक्ष में खाना नहीं पकाया जाता है। उनके लिए धरती से ही खाना भेजा जाता है। अंतरिक्ष यात्री अपने साथ ऐसी चीजें लेकर जाते हैं, जिसे वे लंबे समय तक अपने साथ रख सकें और वह खराब न हो।

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750 ग्राम वजन का खाने का कंटेनर

रिपोर्ट्स के मुताबिक, हर अंतरिक्ष यात्री अपने साथ 1.7 किलोग्राम के हिसाब से वजन कैरी करता है, इसमें 750 ग्राम वजन खाने के कंटेनर का ही होता है। स्पेस में गुरुत्वाकर्षण नहीं होता, इसलिए उनके लिए खाना जीरो-ग्रैविटी को ध्यान में रखकर पकाया जाता है।

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2 दिन में खत्म करना होता है खाना

अंतरिक्ष यात्रियों को अपना खाना दो दिन के अंदर खत्म करना होता है। ऐसा नहीं करने पर दो दिन में खाना सड़ने लगता है।

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खाना गर्म करने का नहीं होता इंतजाम

अंतरिक्ष में खाना गर्म करने का कोई इंतजाम नहीं होता है। इसलिए उनका खाना पकाते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि खाने को दोबारा गर्म करने की जरूरत न पड़े। उनके लिए खाना तैयार करने में थर्मो-स्टेबलाइज्ड टेक्निक का इस्तेमाल किया जाता है।

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रेडिएशन से भी बचाना होता है खाना

अंतरिक्ष यात्रियों को अपने खाने को वहां होने वाले रेडिएशन से भी बचाना होता है। इसलिए धरती से ही खाना भेजते समय रेडिएशन रोधी पैकिंग की जाती है। खाने को विशेष प्रकार के फ्लेक्सिबल फॉयर लैमिनेटड पाउच में रखा जताा है। अंतरिक्ष यात्रियों को ज्यादातर खाना रेडी टू ईट होता है।