जगमग होते आसमान को देखने का है मन तो नोट कर लें तारीख; इस दिन खूब दिखेंगे 'टूटते तारे'

Geminid meteor shower 2024: दीपावली के बाद टॉरिड मीटियोर शावर आसमान में दिलकश नजारा देखने को मिला और जिन्होंने ये मौका गंवा दिया है उन्हें चिंतित होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि एक और खगोलीय घटना होने वाली है जिसकी बदौलत आपको आसमान में 'टूटते हुए तारों' की बरसात देखने का मौका मिलेगा या यूं कहें कि रात के समय एक बार फिर आसमान जगमग होने वाला है तो चलिए जानते हैं कि कब और कहां होने वाली है उल्काओं की बौछार।

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अब कौन से उल्का बरसेंगे?

Geminid Meteor Shower: टॉरिड मीटियोर शावर के बाद अब आसमान जेमिनिड मीटियोर शावर से जगमग होने वाला है। हालांकि, इस बार जेमिनिड मीटियोर शावर पिछले साल की तुलना में ज्यादा रोशन प्रतीत नहीं होंगे, क्योंकि पूर्णिमा के मौके पर यह बौछार होने वाली है। (फोटो साभार: एपी)

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क्या है जेमिनिड मीटियोर शावर?

What is Geminid Meteor Shower: जेमिनिट मीटियोर शावर दिसंबर में होने वाली एक खगोलीय घटना है। इस उल्का बौछार के लिए 3200 फेथॉन नामक एक एस्टेरॉयड जिम्मेदार है।

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कब दिखाई देंगे टूटते तारे?

Geminid Meteor Shower 2024: जेमिनिड मीटियोर शावर 19 नवंबर से 24 दिसंबर के बीच होने वाली है, लेकिन 13 और 14 दिसंबर की रात को यह खगोलीय घटना अपने चरम पर होगी।

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क्यों खास है जेमिनिड मीटियोर शावर?

Geminid meteor shower 2024: जेमिनिट मीटियोर शावर अधिकांश उल्का बरसातों से अलग होती है, जो एस्टेरॉयड से नहीं, बल्कि कॉमेट से उत्पन्न होती है। बता दें कि जब मीटियोर शावर अपने चरम पर होगी तो हर घंटे 150 से ज्यादा उल्का दिखाई देती हैं।

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कहां दिखेंगे टूटते तारे?

Where to see Geminid meteor shower: जेमिनिट मीटियोर शावर का सबसे शानदार नजारा उत्तरी गोलार्ध से दिखाई देगा, लेकिन इसे दक्षिणी गोलार्ध से भी देखा जा सकता है। इसका नाम उस नक्षत्र के नाम पर रखा गया है, जहां से ये उल्काएं निकलती हुई प्रतीत होती हैं।

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आसानी से दिखेगा नजारा

रात के समय आकाश में मिथुन तारामंडल को देखना बेहद आसान है, क्योंकि यह ओरायन नक्षत्र के उत्तर-पूर्व में स्थित है, जो वृषभ और कर्क तारामंडल के बीच मौजूद है। जेमिनिड मीटियोर शावर को देखने का सबसे बढ़िया समय रात को दो बजे का है।

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'चंदा मामा' कहीं किरकिरा न कर दें मजा

इस बार जेमिनिड मीटियोर शावर का मजा 'चंदा मामा' किरकिरा करने वाले हैं, क्योंकि 15 दिसंबर को पूर्णिमा होगी। ऐसे में मीटियोर शावर से आसमान ज्यादा रोशन तो प्रतीत नहीं होगा।

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कब होती है उल्काओं की बौछार?

मीटियोर शावर तब होता है जब किसी एस्टेरॉयड या कॉमेट के छोटे-छोटे कण तीव्र गति से पृथ्वी के वायुमंडल में दाखिल होते हैं जिसकी बदौलत आसमान रोशन हो जाता है। हालांकि, 'दादियों' और 'नानियों' की कहानी में मीटियोर शावर को 'टूटते हुए तारे' बताया जाता था।