पृथ्वी से 20 अरब किमी दूर वॉयजर 2 का बंद हुआ यह उपकरण! तेजी से आगे बढ़ रहा स्पेसक्राफ्ट

Voyager 2 Spacecraft: सुदूर अंतरिक्ष में भ्रमण कर रहे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के स्पेसक्राफ्ट वॉयजर-2 के एक उपकरण को बंद करने का सिग्नल पृथ्वी से भेजा गया। बता दें कि स्पेसक्राफ्ट की ऊर्जा लगातार कम हो रही है। ऐसे में एक विज्ञान उपकरण को बंद करने का फैसला लिया गया है। मौजूदा समय में स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी से लगभग 20.9 अरब किमी की दूरी पर है और तेजी से आगे बढ़ रहा है।

सौर हवाओं का निरीक्षण करने वाला उपकरण बंद
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सौर हवाओं का निरीक्षण करने वाला उपकरण बंद!

मिशन इंजीनियरों ने कम ऊर्जा उपलब्ध होने की वजह से वॉयजर-2 के प्लाज्मा साइंस या PLS एक्सपेरिमेंट को बंद करने का एक कमांड भेजा है। इस उपकरण की मदद से सौर हवाओं का निरीक्षण किया जाता था। (फोटो साभार: NASA)

कहां है वॉयेजर 2 स्पेसक्राफ्ट
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कहां है वॉयेजर 2 स्पेसक्राफ्ट?

47 साल पुराना वॉयेजर 2 सुदूर अंतरिक्ष में 15 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से फर्राटा भर रहा है और वर्तमान में स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी से 20.9 अरब किमी दूर है। (फोटो साभार: NASA)

कमांड पहुंचने में कितना समय लगा
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कमांड पहुंचने में कितना समय लगा

वॉयेजर 2 तक कमांड पहुंचने में 19 घंटे का समय लगा और वापसी सिग्नल 19 घंटे बाद मिला। 47 साल पुराने स्पेसक्राफ्ट को प्लूटोनियम से ऊर्जा मिलती है। (फोटो साभार: copilot AI)

सुदूर अंतरिक्ष से मिल रहा दुर्लभ डेटा
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सुदूर अंतरिक्ष से मिल रहा दुर्लभ डेटा

बकौल नासा, पिछले कई सालों में मिशन इंजीनियरों ने यथासंभव लंबे समय तक किसी भी उपकरण को बंद नहीं करने का फैसला किया है, क्योंकि वॉयेजर 1 और वॉयेजर 2 दोनों से ही दुर्लभ डेटा मिल रहा है। (फोटो साभार: copilot AI)

हेलियोस्फीयर क्षेत्र
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हेलियोस्फीयर क्षेत्र

1977 में लॉन्च किए गए वॉयेजर स्पेसक्राफ्ट सुदूर अंतरिक्ष में भ्रमण कर रहे हैं और इनके नाम एक खास तरह की उपलब्धि भी दर्ज है। बता दें कि वॉयेजर हेलियोस्फीयर के बाहरी क्षेत्र तक पहुंचने वाला पहला स्पेसक्राफ्ट है। (फोटो साभार: copilot AI)

वॉयेजर 2 में कितने उपकरण कर रहे काम
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वॉयेजर 2 में कितने उपकरण कर रहे काम

वॉयेजर 2 का PLS एक्सपेरिमेंट बंद करने का कमांड भेजा जा चुका है। इसके अतिरिक्त चार अन्य उपकरण हमारे हेलियोस्फीयर के बाहरी क्षेत्र का अध्ययन कर रहे हैं। उम्मीद है कि 2030 तक एक उपकरण के इस्तेमाल की ऊर्जा शेष रहेगी। (फोटो साभार: copilot AI)

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