Cloud Seeding: प्रदूषण के विरुद्ध 'पाक' का युद्ध; साफ हवा की चाहत में कराई कृत्रिम बारिश, जानें

Pakistan Pollution: भारत का पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान इस दिनों बढ़ते प्रदूषण से परेशान है। यूं तो हमारे दिल्ली की वायु गुणवत्ता भी खराब है, लेकिन पाकिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर लाहौर की स्थिति ज्यादा भयावह नजर आ रही है। लाहौर की सड़कें धुंध की जहरीली चादर के नीचे घुट रही हैं। ऐसे में पाकिस्तान ने इस जहरीले हवा से छुटकारा पाने के लिए तकनीक का सहारा लिया है तो चलिए आज विस्तार से समझते हैं कि पाकिस्तान ने जिस Artificial Rain का सहारा लिया है, वो आखिर है क्या?

धुआं-धुआं हुआ पाकिस्तान का आसमान
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धुआं-धुआं हुआ 'पाकिस्तान' का आसमान

पंजाब प्रांत के लाहौर और मुल्तान की आबोहवा बेहद खराब हो गई है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) का कांटा 2000 के पार पहुंच गया है जिसकी वजह से लाहौर और मुल्तान में हेल्थ इमरजेंसी घोषित की गई है। आलम कुछ यूं है कि लोगों को सांस लेने में दिक्कत और आंखों में जलन हो रही है।

कृत्रिम बारिश का लिया सहारा
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कृत्रिम बारिश का लिया सहारा

Cloud Seeding: सरकार ने प्रदूषण की मार से बचने के लिए कृत्रिम बारिश का सहारा लिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पंजाब प्रांत की सरकार ने झेलम, चकवाल, तालागांग और गूजर खान में क्लाउड सीडिंग कराई है।

UAE की मदद से हुई थी बारिश
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UAE की मदद से हुई थी बारिश?

पाकिस्तान में दूसरा मौका है जब आर्टिफिशिल बारिश करवाई गई है। इससे पहले लाहौर में दिसंबर 2023 में यूएई की मदद से पहली बार क्लाउड सीडिंग को आजमाया गया था। इसके लिए यूएई ने बकायदा एक टीम भेजी थी।

क्या है क्लाउड सीडिंग
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क्या है क्लाउड सीडिंग?

What is Cloud Seeding: कृत्रिम बारिश के लिए क्लाउड सीडिंग की मदद ली जाती है। यह एक ऐसी तकनीक है जिसके जरिए संघनन को बढ़ाने के लिए बादलों में विशेष रसायनों का छिड़काव किया जाता है।

कैसे होती है कृत्रिम बारिश
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कैसे होती है कृत्रिम बारिश?

Artificial Rain: क्लाउड सीडिंग के विशेष रसायनों (सिल्वर आयोडाइड, पोटेशियम आयोडाइड और ठोस कार्बन डाइऑक्साइड) को एक विमान की मदद से हवा की उल्की दिशा में बादलों के ऊपर छिड़का जाता है। जिसकी बदौलत बारिश होती है।

कहां-कहां अपनाई गई ये तकनीक
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कहां-कहां अपनाई गई ये तकनीक

अमेरिका, चीन, यूएई और ऑस्ट्रेलिया ने क्लाउड सीडिंग तकनीक का इस्तेमाल किया है। इस तकनीक के माध्यम से प्रदूषण, सूखा इत्यादि समस्याओं से निपटा जा सकता है।

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