जब 'शैतान ग्रह' पर नहीं है कोई जीवन, तो क्यों कहलाता है पृथ्वी का जुड़वां?
Life on Venus: पृथ्वी का जुड़वां कहलाया जाने वाला एक ऐसा ग्रह, जो दूर से देखने में सुंदर तो है ही, लेकिन उसके भीतर का माहौल 'नरक' की याद दिलाता है तभी तो उस ग्रह को शैतान ग्रह कहा जाता है। दरअसल, हम बात कर रहे हैं शुक्र ग्रह की जिसे अक्सर 'पृथ्वी का जुड़वां' कहा जाता है, लेकिन हाल ही सामने आई एक स्टडी ने शुक्र ग्रह को लेकर कई चौंका देने वाले खुलासे किए हैं जिससे 'शुक्र ग्रह पर कभी जीवन था' ऐसी धारणा कमजोर पड़ती हुई प्रतीत हो रही है।
वैज्ञानिकों की धारण पर फिरा पानी
हालिया स्टडी ने वैज्ञानिकों की इस धारणा पर पानी फेर दिया कि कभी शुक्र ग्रह पर जीवन रहा होगा। 'नेचर एस्ट्रोनॉमी' जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक, शुक्र ग्रह पर कभी भी तरल महासागर मौजूद नहीं था और उसका अंदरुनी भाग शुष्क है।
शुक्र ग्रह से जुड़ी स्टडी किसने की?
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि शुक्र ग्रह में कभी बहुत ज्यादा मेहमान नवाजी करता रहा होगा, यहां पर ठंडा तापमान और तरल पानी के महासागर रहे होंगे, लेकिन हालिया स्टडी ने सभी को चौंका दिया। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की एक टीम ने हालिया स्टडी की।
कैसा है शुक्र ग्रह का तापमान
शुक्र ग्रह की सतह इतनी ज्यादा गर्म है कि यहां पर सीसा भी पिघल सकता है। दरअसल, शुक्र ग्रह का औसत तापमान लगभग 500 डिग्री सेल्सियस है तथा ग्रह पर सल्फ्यूरिक एसिड के बादल छाए रहते हैं जिसकी वजह से ग्रह पर एसिड की बारिश होती है, जो इसे एक शैतान ग्रह बनाती है।
पृथ्वी का शैतान जुड़वां
शुक्र को अक्सर पृथ्वी का शैतान जुड़वां कहा जाता है, क्योंकि नरक जैसा प्रतीत होने के बावजूद शुक्र ग्रह का वजन, घनत्व करीब-करीब समान है। यहां तक कि सोलर सिस्टम के अंदरूनी हिस्से को भी दोनों बनाते हैं।
दो अवधारणाओं पर टिकी रिसर्च
इन चरम स्थितियों के बावजूद हम यह मानते हैं कि शुक्र आज जैसा है अरबों साल पहले ऐसा नहीं रहा होगा। एक वैज्ञानिक अवधारणा ऐसी है कि शुक्र में तरल पानी के महासागर मौजूद थे, लेकिन ज्वालामुखी गतिविधि के चलते ग्रीनहाउस प्रभाव की वजह से स्थितियां बदल गईं। परिणामस्वरूप, शुक्र धीरे-धीरे ज्यादा गर्म हो गया और तरल अवस्था में पानी नहीं बचा।और पढ़ें
नहीं है कोई तरल महासागर
एक दूसरी अवधारणा कहती है कि शुक्र पर कभी तरल महासागर नहीं थे, क्योंकि यह ग्रह जन्म से ही गर्म था और शोधकर्ता शुक्र के जलविहीन वाले सैद्धांतिक इतिहास के पक्ष में खड़े हैं। हालांकि, दोनों ही सिद्धांत जलवायु मॉडल पर आधारित हैं।
शोधकर्ता ने क्या कुछ कहा
ब्रिटेन की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की पीएचडी छात्रा और शोधकर्ताओं का नेतृत्व कर रहीं टेरेजा कॉन्स्टेंटिनौ ने बताया कि जल, कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बोनिल सल्फाइड के वायुमंडलीय विनाश की मौजूद दर की गणना के माध्यम से हमने शुक्र के आंतरिक भाग का अध्ययन किया, जो शुष्क है।
क्या है स्टडी का निष्कर्ष
शुक्र ग्रह में एसिड की बारिश होती है और हालिया स्टडी अगर सही साबित होती है तो वैज्ञानिक बाह्यग्रहों की तलाश के दौरान शुक्र जैसे ग्रहों को नजरअंदाज कर सकते हैं, क्योंकि वहां पर जीवन की संभावनाएं न के बराबर हो सकती हैं।
Honda Activa e आकर्षक कीमत पर लॉन्च, फुल चार्ज में चलेगी 100 Km पार
चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में 8 साल बाद फिर खेलते नजर आएंगे ये 6 भारतीय
बिना कोचिंग अनामिका को PCS में रैंक 24, बनीं SDM
समुद्र के नीचे उड़ेगी बुलेट ट्रेन, सुरंगों में भरेगी 250 KM की रफ्तार; पलक झपकते पहुंच जाएंगे मुंबई से अहमदाबाद
Kanpur में बदल जाएगी ट्रैफिक की तस्वीर, बनने वाला है 93 KM लंबा उद्योगपथ; किसानों के हाथ लगा जैकपॉट
Budget Glossary: बजट 2025 से पहले जान लें ये 15 जरूरी शब्द, पड़ोसी से पूछने की नहीं पड़ेगी जरूरत
SSC MTS Havaldar Result 2024: अब नहीं होगी देरी! इस दिन जारी हो सकता है एसएससी एमटीएस और हवलदार का रिजल्ट
VIDEO: शांत खड़े हाथी से भिड़ गया डॉगी, मगर फिर जो दिखा सोच भी नहीं सकते
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून गिरफ्तार, महाभियोग के बीच कोर्ट से लगा बड़ा झटका
Gold-Silver Price Today 19 January 2025: आज क्या हैं सोना-चांदी का भाव, जानें अपने शहर के रेट
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited