किस उम्र में बनवानी चाहिए बच्चे की कुंडली,घर में किस जगह रखना होता है शुभ
Janam Kundali: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति के कुंडली का खास महत्व होता है। कुंडली के द्वारा व्यक्ति के भविष्य और वर्तमान का पता लगाया जा सकता है। बच्चे के जन्म लेते ही सबसे पहले कुंडली बनाने की बात पर जोर दिया जाता है। ऐसे में आइए जानें बच्चों की कुंडली कब बनवानी चाहिए और कहां रखनी चाहिए।
कुंडली में 12 घर या 12 भाव होते हैं। इन भाव और घरों के द्वारा लोगों की जिदंगी के बारे में पता लगाया जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र में लग्नेश, पंचमेश और नवमेश इन तीनों ग्रहों से शुभ योग की युति बनती है। कुंडली के आधार पर ही मनुष्य के भविष्य के बारे में पता लगा सकते हैं कि किसी व्यक्ति के आगे जीवन में क्या होगा। आइए जानें बच्चों की कुंडली कब बनवाना चाहिए।
ज्योतिष शास्त्र
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली के द्वारा मनुष्य के भविष्य के बारे में अच्छे से पता लगाया जा सकता है।और पढ़ें
बच्चे की कुंडली
ज्योतिषयों के अनुसार बच्चे की कुंडली कभी भी बनाई जा सकती है। इसके लिए कोई उम्र की सीमा नहीं होती है। और पढ़ें
जन्म कुंडली
बच्चे की जन्म कुंडली जन्म स्थान, समय तारीख के आधार पर बनाई जाती है। जन्म के समय में पूरी कुंडली नहीं बनाई जाती है।और पढ़ें
6 साल तक
6 साल तक बच्चों की कुंडली का ज्यादा विवेचन नहीं करना चाहिए। क्योंकि तब तक बच्चा पिछले जन्म का ही कर्म भोगता है।और पढ़ें
जन्म कुंडली
जन्म कुंडली रखने के लिए सबसे अच्छा स्थान ईशान कोण होता है। बच्चे की जन्म कुंडली इसी स्थान पर रखने चाहिए। और पढ़ें
गुरु ग्रह
जन्म कुंडली गुरु ग्रह का सीधा कारक होती है। इस स्थान पर रखने से शुभता बनी रहती है।
गुरु ग्रह भाग्य
गुरु ग्रह भाग्य, लाभ, पिछले जन्म के कर्म, धर्मस्थान आदि से जुड़ा होता है। इस कारण आप कुंडली को भगवान के घर में मंदिर में रख सकते हैं।और पढ़ें
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