Badrinath Dham: बदरीनाथ के खुले कपाट, जानें इस मंदिर से जुड़ी जरूरी बातें

Badrinath Dham: 12 मई को यानि आज बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुल गए हैं। इस मंदिर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित है। भगवान विष्णु को यहां पर बदरी विशाल के नाम से जाना जाता है। ये मंदिर चारधाम यात्रा का चौथा पड़ाव है। पट खुलते के साथ ही इस मंदिर में दर्शन के लिए भारी भीड़ लग गई है। आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी अहम बातें।

Badrinath Dham बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुल गए हैं। इस मंदिर को बहुत ही भव्य तरीके से सजाया गया है। बदरी विशाल का मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिला में अलकनंदा नदी के तट पर बना हुआ है। इस मंदिर में भगवान बदरी विशाल के  स्वयंभू शालीग्राम पत्थर की विशेष रूप से पूजा की जाती है। ऐसे में आइए जानें इस मंदिर की खास बातें।
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Badrinath Dham: बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुल गए हैं। इस मंदिर को बहुत ही भव्य तरीके से सजाया गया है। बदरी विशाल का मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिला में अलकनंदा नदी के तट पर बना हुआ है। इस मंदिर में भगवान बदरी विशाल के स्वयंभू शालीग्राम पत्थर की विशेष रूप से पूजा की जाती है। ऐसे में आइए जानें इस मंदिर की खास बातें।

बदरीनाथ मंदिर
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​बदरीनाथ मंदिर​

बदरीनाथ मंदिर में भगवान बद्रीनाथ की पूजा होती है। भगवान बदरी विशाल भगवान विष्णु का ही रूप माना जाता है। इसी स्थान पर नर नरायाण रूप में भगवान ने घोर तपस्या की थी।

नर और नरायाण पर्वत
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​नर और नरायाण पर्वत​

बदरीनाथ मंदिर दो पर्वत नर और नरायाण के बीच में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि इस पर्वत पर ही भगवान विष्णु के अंश नर और नरायाण ने घोर तपस्या की थी। नरायाण द्वापर युग में कृष्ण के रूप में अवतार लिया था।

 शालिग्राम पत्थर
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​ शालिग्राम पत्थर ​

बद्रीनाथ धाम में भगवान बद्रीनाथ जी की शालिग्राम पत्थर में स्वंयभू मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर में लाखों भक्तों की भीड़ दर्शन के लिए जमा होती है।

चतुर्भुज अर्द्धपद्मासन ध्यानमगन मुद्रा
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​​चतुर्भुज अर्द्धपद्मासन ध्यानमगन मुद्रा​

​नारायण की यह मूर्ति चतुर्भुज अर्द्धपद्मासन ध्यानमगन मुद्रा में बनी हुई है। इस मूर्ति को जो जिस रूप में देखता है। उसे उसी रूप में दिखते हैं। इस मूर्ति में अनेक इष्टदेवों के दर्शन होते हैं।​

बदरीनाथ कैसे नाम पड़ा
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बदरीनाथ कैसे नाम पड़ा

पौराणिक कथा के अनुसार सर्दी, वर्षा, तूफान, हिमादि से भगवान नरायाण की रक्षा बेर के वृक्ष ने की थी। बेर के वृक्ष को बदरी के नाम से भी जाना जाता है। इस कारण से इस मंदिर को बदरीनाथ के नाम से जाना जानें लगा।

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