चाणक्य नीति: 48 मिनट का जीवन भी मिले तो उसे इस तरह से जीना चाहिए

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य एक महान अर्थशास्त्री, राजनीति के वेत्ता और कूटनीतिज्ञ होते हुए भी माहत्मा थे। उनकी नीतियां प्राचीन काल से ही लोगों का मार्गदर्शन करते आ रही हैं। आज हम बात करेंगे चाणक्य ने मनुष्य जीवन किस तरह से जीन की सलाह दी है।

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चाणक्य नीति

चाणक्य नीति आचार्य चाणक्य द्वारा रचित एक नीति ग्रंथ है जिसमें जीवन को सुखमय और सफल बनाने के लिए उपयोगी सुझाव दिये गये हैं। इस नीति ग्रंथ का मुख्य विष्य मनुष्य को जीवन के हर एक पहलू के बारे में व्यावहारिक शिक्षा देना है। चाणक्य ने अपने ग्रंथ के एक श्लोक में बताया है कि जीवन भले ही छोटा क्यों न मिले लेकिन फिर भी हमें उस जीवन को अच्छे कर्म करते हुए जीना चाहिए।

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चाणक्य नीति श्लोक

मुहूर्तमपि जीवेच्च नर: शुक्लेन कर्मणा।न कल्पमपि कष्टेन लोकद्वयविरोधिना।।

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ऐसा होना चाहिए जीवन

चाणक्य नीति के इस श्लोक का अर्थ है कि मनुष्य को यदि एक मुहूर्त अर्थात 48 मिनट का जीवन भी मिले तो भी उसे उत्तम और पुण्य कार्य करते हुए ही जीवित रहना चाहिए, क्योंकि ऐसा जीवन उत्तम माना जाता है, परंतु इस लोक और परलोक में दुष्ट कर्म करते हुए हजारों वर्ष भी जीना व्यर्थ है।

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ऐसा जीवन होता है उत्तम

चाणक्य ने इस श्लोक में ये समझाने की कोशिश की है कि मनुष्य जीवन बहुत ही भाग्य से मिलता है। यदि जीवन छोटा भी हो तो भी उसे अच्छे कर्म करते हुए ही जीवित रहना चाहिए क्योंकि बुरे काम करते हुए हजारों साल का जीवन भी व्यर्थ है।

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अच्छे कर्म

मनुष्य का धर्म है कि वो अच्छे कर्म करता हुआ अपने जीवन को बिताएं। आयु की सार्थकता शुभ कर्मों से ही है।