चंबल नदी को द्रौपदी ने क्या श्राप दिया था, जिस वजह से इस नदी में आज भी नहाने से कतराते हैं लोग

Cursed River of India of India (भारत की शापित नदी): महाभारत एक एतिहासिक धर्म ग्रंथ जिसकी कथाएं आज भी प्रचलन में हैं। महाभारत से जुड़ी बातें आज हजारों साल बाद भी भारत के हर कोने में देखने और सुनने को मिलती हैं। लेकिन क्या आप भारत की एक ऐसी नदी को जानते हैं जो आज भी महाभारत काल से शापित है और जहां शाम होने पर एक परिंदा तक नहीं भटकता ? आज हम आपको भारत की इस शापित नदी के बारे में बतायेंगे।

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द्वापरयुग

सत्ययुग और त्रेतायुग के बाद द्वापरयुग आता है जिसका उल्लेख हिंदू धर्म के शास्त्रों में मिलता हैं। द्वापरयुग वो काल था जब महाभारत युद्ध लड़ा गया जिसमें पांडवों का नेतृत्व भगवान श्रीकृष्ण कर रहे थें। इस युद्ध का मुख्य उद्देश्य था धर्म की विजय और पांडवों की पत्नी द्रौपदी पर हुए आत्याचारों का प्रतिशोध।

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महाभारत

महाभारत वेद व्यास द्वारा लिखा गया हिंदू धर्म का प्रख्यात महा काव्य है जिसमें पांडवों और कौरवों के बीच हुए महायुद्ध का वर्णन हैं। महाभारत को साहित्यिक, धार्मिक और एतिहासिक रूप से भारत में देखा जाता है। आधुनिक युग में भी महाभारत से जुड़े कई तथ्य देखने को मिलते हैं।

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द्रौपदी

पांचाली के नाम से प्रसिद्ध द्रौपदी पांडवों की पत्नी थीं। द्रौपदी पंच कन्याओं में एक भी मानी जाती हैं जिन्हें अपनी पतिव्रता के लिए जाना जाता हैं। महाराज द्रुपद के घर जन्मी द्रौपदी एक ऐसी नारी थीं जिन्होंने धर्म के महायुद्ध में अनेकों बलिदान दियें।

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भारत की शापित नदी

वैसे तो भारत देश में अनेकों घूमने वाली या दर्शन वाली जगहें हैं जो कि लोक कथाओं के अनुसार शापित और अशुभ मानी जाती है। आज हम आपको भारत की एक ऐसी ही फेमस नदी से रूबरू करवाएंगे जो द्वापरयुग से एक श्राप की भागीदार है।

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द्रौपदी का श्राप

लोक मान्यताओं के अनुसार, पांडवों और कौरवों के बीच हुए पासे के खेल के बाद द्रौपदी ने चंबल नदी को श्राप दिया था। श्राप ये था की चंबल नदी हमेशा उनके उस अपमान की गवाह रहेगी जो उनके साथ हस्तिनापुर की सभा में कौरवों द्वारा किया गया था और जो कोई भी इस नदी का पानी पीएगा, वो श्राप की वजह से भस्म हो जाएगा।

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चंबल नदी

चंबल नदी उत्तर मध्य भारत में यमुना नदी की सहायक नदियों में से एक है। चंबल नदी का प्राचीन नाम चर्मण्वती बताया जाता है। इस नदी का जिक्र कई एतिहासिक तथ्यों में मिलता है। चंबल नदी की सहायक नदियां शिप्रा, सिंध ओर कुनू नदी हैं। इस नदी में घड़ियाल, डॉल्फि‍न और कछुओं की खूबसूरत प्रजातियां पाई जाती हैं।

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श्राप का असर

आज भी चंबल नदी में द्रौपदी के दिए हुए श्राप का प्रभाव देखने को मिलता हैं। इसे आज भी एक शापित और अशुभ जगह के रूप में देखा जाता है जहां शाम होते-होते एक परिंदा तक दिखाई पड़ता हैं। मान्‍यताओं के अनुसार इस श्राप ने लोगों को सदियों से नदी से दूर रखा है।