Lotus Temple में क्यों नहीं है किसी भगवान की मूर्ति, रहस्य जान हो जाएंगे हैरान!

Delhi Lotus Temple: दिल्ली का खूबसूरत कमल मंदिर हमेशा से ही लोगों के आकर्षण का केंद्र बना रहा है। विदेशी भी इस मंदिर की खूबसूरती देख मंद्रमुग्ध हो जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि ये मंदिर हिंदुओं ने नहीं बल्कि किसी और समुदाय के लोगों द्वारा बनवाया गया है।

01 / 08
Share

दिल्ली का प्रसिद्ध कमल मंदिर

दिल्ली में वैसे तो कई प्रसिद्ध मंदिर हैं लेकिन यहां के कमल मंदिर की बात कुछ अलग ही है। दरअसल इस मंदिर में न तो कोई मूर्ति है और न ही ये किसी विशेष धर्म के लोगों के लिए है। बल्कि इस मंदिर के दरवाजे हर धर्म के लोगों के लिए खुले हैं। दिसंबर 1986 में बना ये मंदिर सभी धर्मों की एकता को दिखाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये मंदिर किस समुदाय के लोगों ने बनवाया है। चलिए आपको बताते हैं कमल मंदिर से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में।

02 / 08
Share

कब और किसने बनाया

अपनी खूबसूरती के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध दिल्ली का कमल मंदिर 24 दिसंबर 1986 में बनकर तैयार हुआ था। इसे ईरानी वास्तुकार फरीबोर्ज़ सहबा ने कमल के आकार में डिजाइन किया था।

03 / 08
Share

खूबसूरती का हर कोई है दीवाना

यह दुनिया के सबसे ज्यादा देखे जाने वाले स्थानों में से एक है। 27 संगमरमर की पंखुड़ियों से बने मंदिर में नौ भुजाएं हैं, जिन्हें तीन समूहों में व्यवस्थित किया गया है।

04 / 08
Share

मंदिर में हैं नौ दरवाजे

कमल मंदिर में नौ दरवाजे एक केंद्रीय प्रार्थना कक्ष का नेतृत्व करते हैं जिसकी क्षमता 2500 लोगों की है।

05 / 08
Share

संगमरमर से बना है

मंदिर में इस्तेमाल किया गया संगमरमर ग्रीस से, पेंटेली पर्वत से आया था। कहा जाता है कि एक ही संगमरमर का उपयोग करके पूजा के कई अन्य बहाई घर बनाए गए थे।

06 / 08
Share

शांति का है प्रतीक

मंदिर के अंदर किसी भी वाद्य यंत्र को बजाने पर सख्त पाबंदी है। इस मंदिर में बिल्कुल भी बोलने की अनुमति नहीं है। इसलिए मंदिर में बेहद शांति रहती है।

07 / 08
Share

किसने बनवाया है

यह मंदिर सभी धर्मों की एकता में विश्वास करने वाले बहाई समुदाय के लोगों द्वारा बनवाया गया था। इसलिए सभी धर्मों के लोगों का इस मंदिर में स्वागत किया जाता है।

08 / 08
Share

मंदिर में नहीं होती मूर्ति पूजा

इस मंदिर में किसी भी देवी-देवता की एक भी मूर्ति नहीं है क्योंकि ये मंदिर सभी धर्मों की एकता का प्रतीक माना जाता है।