जितिया व्रत में महिलाएं क्यों पहनती हैं सोने का ये लॉकेट, खास है वजह, देखें तस्वीरें
Gold Design Jitiya Significance: जितिया पर्व की एक खास परंपरा ये है कि इस दिन व्रती महिलाएं अपने गले में सोने और चांदी की जितिया पहनती हैं। चलिए आपको बताते हैं कि जितिया का लॉकेट कैसा होता है और इसका महत्व क्या है।
जितिया लॉकेट
जितिया व्रत इस साल 24 और 25 सितंबर दो दिन मनाया जा रहा है। इस पर्व में महिलाएं अपने गले में सोने या चांदी से बना जितिया लॉकेट पहनती हैं। जिसके बिना ये व्रत अधूरा माना जाता है। जिउतिया लॉकेट में जीमूतवाहन की आकृति बनी होती है। जिन माताओं की जितनी संतान होती है वो उतने जिउतिया के लॉकेट पहनती हैं।
कैसी होती है जिउतिया
जिउतिया लॉकेट में जीमूतवाहन की आकृति बनी होती है। इस लॉकेट को लाल या पीले रंग के धागे में गुथवाकर धारण किया जाता है।
क्यों पहना जाता है जितिया लॉकेट
मान्यताओं अनुसार जितिया का लॉकेट पहनने से संतान को दीर्घायु और सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
जितिया की संख्या
मान्यता है कि जिन माताओं की जितनी संतान होती है उन्हें उतने जिउतिया के लॉकेट गले में पहनने चाहिए। जैसे जिन महिलाओं की दो संतान है वो दो जितिया बनवाती हैं तो वहीं जिनकी तीन संतान होती हैं वो तीन जितिया बनवाकर पहनती हैं।
ये भी है परंपरा ?
कई जगह पर महिलाएं अपने पुत्र के बराबर गांठें जितिया के धागे में बांध देती हैं। जबकि कई महिलाएं गांठ बांधने कि जगह एक ही धागे में जितिया के अलग-अलग लॉकेट धारण कर लेती हैं।
एक ही धागे में पिरोई जाती है जितिया
अगर किसी महिला के दो या तीन बच्चे हैं तो उनकी जितिया अलग-अलग धागे में नहीं पिरोनी है बल्कि एक ही धागे में सभी जितिया गुथवा देनी है। फिर इस धागे को बारी-बारी से सभी बच्चे को पहनाया जाता है।
जितिया लॉकेट पहनने से पहले करें ये काम
जितिया लॉकेट को व्रत वाले दिन सबसे पहले चीलो माता पर चढ़ाया जाता है और फिर अगले दिन पहले बच्चे को पहनाया जाता है। उसके बाद माताएं इसे अपने गले में पहनती हैं।
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