Jejuri Turmeric festival: रंगों से नहीं बल्कि हल्दी से होती है भारत के इस मंदिर में होली, जानिए जेजुरी के उत्सव की मान्यता
Jejuri Turmeric festival (जेजुरी खंडोबा मंदिर): भारत त्योहारों और मंदिरों का देश है। यहां का हर उत्सव सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है। ऐसे में साल के 12 महीनों में कोई न कोई पर्व मनाने की परंपरा भारतीय पृष्ठभूमि में चली आ रही है। लेकिन क्या आप एक ऐसे मंदिर में के बारे में जानते हैं जहां पर हल्दी से होली खेली जाती है? आज हम आपको जेजुरी खंडोबा मंदिर के उत्सव के बारे में बताएंगे।
जेजुरी खंडोबा मंदिर
जेजुरी खंडोबा का मंदिर पुणे से लगभग 50 किलोमीटर दूर जेजुरी क्षेत्र में स्थित है। इस स्थान पर भगवान खंडोबा की पूजा होती है, जिन्हें म्हालसाकांत या मल्हारी मार्तंड या माइलरालिंगा के नाम से भी जाना जाता है। ये योद्धाओं और पुजारियों के साथ-साथ किसानों और चरवाहों सहित कई मराठी परिवारों के कुल देवता हैं।
हल्दी की होली
जेजुरी के खंडोबा मंदिर में हल्दी चढ़ाने की प्राचीन मान्यता है। यहां पर आए भक्त हल्दी से होली भी खेलते हैं और अपनी भक्ति और प्रसन्नता को प्रकट करते हैं। हल्दी चढ़ाने के बाद मंदिर का परिसर और सीढ़ियां पीले रंग से सोने के तरह चमक उठती हैं। यहां करीब 200 सीढ़ियां मौजूद हैं।
धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान खंडोबा को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि पृथ्वी पर मल्ल और मणि राक्षस के अत्याचार बढ़ने के उपरान्त भगवान शिव ने महा मार्तंड भैरव का अवतार लिया था और वीरता से राक्षसों का वध किया था।
ऐतिहासिक मान्यता
जेजुरी के मंदिर का ऐतिहासिक दृष्टि से भी बहुत महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि शिवाजी महाराज अक्सर इस मंदिर में अपने पिता शहाजी राजे भोसले से गुप्त रूप में मुलाकात करते थे और यहां वे दोनों मिलकर मुगलों के विरुद्ध युद्ध की रणनीति तैयार करते थे।
मुख्य द्वार पर कछुआ
इस मंदिर में हेमड़ा पंथी शैली का प्रयोग किया गया है जहां पर 28 फीट आकार का पीतल से बना कछुआ है। मान्यता है कि इसे वाद्ययंत्र के रूप में भजन, कीर्तन और नृत्य के दौरान उपयोग किया जाता था। ये मंदिर दो भागों में विभाजित है जहां पर एक ओर मंडप और एक ओर गर्भगृह है।
होलकर राजवंश के कुल देवता
भगवान खंडोबा मध्य प्रदेश के होलकर राजवंश के कुल देवता माने जाते हैं। विक्रम संवत के पंचांग के अनुसार चैत्र, मार्गशीर्ष, पौष और माघ मास में यहां विशेष यात्राओं का आयोजन किया जाता है। इस यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु जेजुरी दर्शन के लिए आते हैं।
कब मनाते हैं हल्दी का उत्सव
इस विशेष स्थान पर नवरात्र से एक दिन पहले सोमवती अमावस्या पर जेजुरी खंडोबा मंदिर में हल्दी उत्सव का आयोजन किया जाता है। साल 2025 में ये उत्सव होलिका दहन 13 मार्च के दिन है। इस पर्व को हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। ये हल्दी उत्सव बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है।
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