Kedarnath Dham 2023: 400 साल बर्फ में दबा रहा केदारनाथ धाम, जानें किसने और कैसे करवाया मंदिर का निर्माण
केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Mandir) के कपाट मंगलवार की सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। कपाट खुलते ही केदारनाथ धाम महादेव के जयकारों से गूंज उठा। उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित ये मंदिर हिंदुओं का प्रसिद्ध मंदिर है। ये मंदिर बारह ज्योतिर्लिंग में शामिल होने के साथ ही चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। केदारनाथ मंदिर तीनों तरफ से पहाड़ों से घिरा है। इतना ही नहीं यहां 5 नदियों का संगम भी है। जानिए केरदारनाथ धाम का इतिहास और महिमा।

स्वयंभू शिवलिंग की उत्पत्ति का रहस्य
ये ज्योतिर्लिंग त्रिकोण आकार का है। पौराणिक कथाओं अनुसार हिमालय के केदार श्रृंग पर महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी प्रार्थनानुसार ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वरदान प्रदान किया।

केदारनाथ मंदिर का निर्माण किसने करवाया
इस मंदिर का निर्माण कत्यूरी शैली से किया गया है लेकिन किसने किया है इसका कोई प्रामाणिक उल्लेख नहीं मिलता है। लेकिन पौराणिक मान्यताओं अनुसार इसके निर्माता पांडव वंश जनमेजय माने जाते हैं। इस मंदिर में स्थित स्वयंभू शिवलिंग बहुत ही प्राचीन है। ऐसा भी कहा जाता है कि इसकी स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी।

मंदिर में 6 महीने तक जलते हुए दीपक का रहस्य
ये मंदिर केवल 6 महीने ही खुलता है। जब 6 महीने का समय पूरा होता है तो इस मंदिर के पुजारी यहां एक दीपक जलाते हैं और जब 6 महीने के बाद मंदिर खुलता है तब ये दीपक ऐसे ही जलता हुआ मिलता है। इस दीपक के जलते रहने का रहस्य आज तक कोई जान नहीं पाया।

400 साल बर्फ के भीतर दबा था केदारनाथ धाम
ऐसा माना जाता है कि केदारनाथ मंदिर लगभग 400 वर्षों तक बर्फ से दबा रहा था। जानकारी अनुसार जब 13वीं शताब्दी से लेकर 14वीं शताब्दी के बीच हिम युग की शुरुआत हुई तो उस दौरान पूरा केदारनाथ धाम बर्फ के नीचे दबा हुआ था।

पांडवों ने बनवाया था केदरानाथ मंदिर?
ऐसी मान्यता है कि जब द्वापर काल में पांडवों ने महाभारत का युद्ध जीत लिया तो उन्हें बेहद ग्लानि हुई कि उन्होंने अपने ही भाइयों, सगे-संबंधियों का वध किया है। ऐसे में पांडव अपने पापों से मुक्ति के लिए शिव जी के दर्शन करने काशी पहुंच। लेकिन शिव उन्हें वहां नहीं मिले क्योंकि शिव जी उनके इस पाप से नाराज थे। फिर पांडव भोलेनाथ का पीछे करते हुए केदारनाथ पहुंच गए। केदारनाथ में भगवान शिव बैल का रूप धारण करके बैल की झुंड में शामिल हो गए। तब भीम अपना विराट रूप धारण करके दो पहाड़ों पर अपना पैर रखकर खड़े हो गये। ऐसे में सभी पशु भीम के पैरों के नीचे आ गए। जैसे ही भगवान शिव अंतर्ध्यान होने लगे तो भीम ने भोलेनाथ को पकड़ लिया। पांडवों की पाप से मुक्ति पाने की लालसा को देख शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने उन्हें दर्शन दिए। जिससे पांडव अपने पाप से मुक्त हुए। कहते हैं इसके बाद पांडवों ने यहां पर केदारनाथ मंदिर का निर्माण करवाया।

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