Lingaraj Temple: इस मंदिर के कुंड में स्नान करने से भर जाती है सूनी कोख, मानसिक तनाव से भी मिलता है छुटकारा

Lingaraj Temple: लिंगराज महादेव भुवनेश्वर के प्राचीन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में भगवान शिव और विष्णु की एक साथ पूजा का जाती है। आस्था और पर्यटन दोनों ही दृष्टि से इस मंदिर का खास महत्व है। आइए जानते हैं इस मंदिर की खासियत के बारे में।

Lingaraj Temple लिंगराज मंदिर ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में स्थित है। इस राज्य का नाम भी भगवान लिंगराज के एक नाम भुवनेश्वर पर पड़ा है। यह मंदिर भारत के बेहतरीन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 55 मीटर है। लिंगराज मंदिर हरिहर देव की पूजा की जाती है। हरि मतलब विष्णु और हर का अर्थ शिव है। शिव और विष्णु की पूजा यहां पर साथ में होती है। आइए जानें इस मंदिर का इतिहास
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Lingaraj Temple: लिंगराज मंदिर ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में स्थित है। इस राज्य का नाम भी भगवान लिंगराज के एक नाम भुवनेश्वर पर पड़ा है। यह मंदिर भारत के बेहतरीन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 55 मीटर है। लिंगराज मंदिर हरिहर देव की पूजा की जाती है। हरि मतलब विष्णु और हर का अर्थ शिव है। शिव और विष्णु की पूजा यहां पर साथ में होती है। आइए जानें इस मंदिर का इतिहास

लिंगराज का अर्थ
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​लिंगराज का अर्थ ​

लिंगराज का अर्थ होता है ‘शिव’, लेकिन लिंगराज मंदिर में प्रतिष्ठित देवता ‘हरिहर’ के रूप पूजा की जाती है। इस मंदिर शिव और विष्णु एक साथ पूजे जाते हैं।

जलाशय का निर्माण
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​जलाशय का निर्माण​

पौराणिक मान्यता के अनुसार लड़ाई के बाद जब माता पार्वती को प्यास लगी तो भगवान शिव ने यहां पर एक जलाशय का निर्माण किया था।

शैव सम्प्रदाय
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​‘शैव सम्प्रदाय’ ​

​लिंगराज मंदिर का संबध ‘शैव सम्प्रदाय’ के साथ रहा है। बिन्दुसागर सरोवर के जल में स्नान करने से मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।​

छोटा-सा कुंड
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​छोटा-सा कुंड​

लिंगराज मंदिर की दायीं ओर एक छोटा-सा कुंड है। इस कुंडन में स्नान करने से विवाहित महिलाओं की कोख भर जाती है।

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