Arjuna Bow name in Mahabharata: बिजली के गरजने जैसी टंकार थी इस महानायक के धनुष की, जिसपर कृपा थी देवताओं की, जानिए इससे जुड़ी मान्यता
Arjuna Bow name in Mahabharata (महाभारत में अर्जुन के धनुष का नाम): महाभारत वैदिक काल में लिखा गया एक पौराणिक महाकाव्य है जिसकी रचना महर्षि वेद व्यास ने की थी। महाभारत का युद्ध अत्यंत ही प्रलयंकारी था जिसमें पांडवों और कौरवों की सेनाएं लड़ी थीं। इस युद्ध में कई अस्त्र और शास्त्रों का उपयोग हुआ था जिसमें सबसे खास अर्जुन का दिव्य धनुष था जिससे जुड़ी हुई कई मान्यताएं हैं। आज हम आपको महाभारत में अर्जुन के धनुष का नाम बताएंगे और साथ ही उससे जुड़ी महत्ता और तथ्यों की जानकारी देंगे।

अर्जुन
द्वापर युग में अर्जुन महाभारत काल के सबसे प्रमुख और महान योद्धाओं में से एक थें। इनके माता-पिता माता कुंती और राजा पांडू थें तथा इनके धर्म पिता का नाम इंद्र देव था। अर्जुन भगवान श्री कृष्ण, भीष्म पितामह और गुरु द्रोणाचार्य के प्रिय थें। अर्जुन को उनकी एकाग्रता, समर्पण, शक्ति, सामर्थ्य और धनुर्विद्या के लिए जाना जाता था। इन्हें देव देवताओं से कई अस्त्र-शास्त्र मिले थें, जिनमें से एक इनका धनुष भी था।

गांडीव धनुष
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गांडीव धनुष अर्जुन का धनुष था जो उन्हें अपने पराक्रम और शक्ति से प्राप्त हुआ था। गांडीव धनुष के 108 तार ब्रह्मांडीय तत्वों से बने थें जिन्हें तोड़ना असंभव था। अर्जुन के इस अलौकिक धनुष की पूजा देव, दानव, और गंधर्वों ने अनंत वर्षों तक की थी। गांडीव धनुष 10 फीट लंबा था जो की उतना ही भरी था।

कैसे बना था धनुष
धार्मिक मान्यताओं और महाभारत के मुताबिक भगवान ब्रह्मा ने कण्व ऋषि के शरीर पर कठोर तप के की वजह से उगी बांसों से गांडीव, पिनाक और शार्ङग धनुष का निर्माण भगवान विश्वकर्मा की मदद से किया था। पिनाक भगवान शिव का धनुष था और शार्ङग भगवान विष्णु का।

ऐसे मिला अर्जुन को
ऐसा कहा जाता है कि जहां पिनाक और शार्ङग भगवान शिव और भगवान विष्णु मिल गया तो वहीँ गांडीव धनुष को वरुण देव ने अपने पास रख लिया और कुछ समय बाद ये धनुष अग्नि देव के पास आ गया था। महाभारत काल में अर्जुन और नागों के बीच घनघोर युद्ध हुआ था। ये युद्ध खांडवप्रस्थ वन में हुआ था जिसमें अर्जुन ने नागों को हराया था और इससे प्रसन्न हो कर अग्नि देव ने प्रसाद के रूप में ये दिव्य धनुष अर्जुन को दे दिया था।

लड़े ये युद्ध
इस शक्तिशाली धनुष से अर्जुन ने विराट नगर, कुरुक्षेत्र और दिग्विजय यात्रा के युद्ध लड़े थे। इस धनुष और अर्जुन के बाहुबल से सबने अपनी हार स्वीकार कर ली थी। अज्ञातवास के दौरान अर्जुन ने इसे अग्नि देव को सौंप दिया था। मान्यता ये भी है कि अर्जुन के अलावा इस धनुष को कोई और नहीं उठा सकता था।

महाभारत के बाद
महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों ने कई सौ सालों तक राज्य किया और कुछ समय के बाद उन्होंने अपना सब कुछ त्याग कर हिमालय की ओर प्रस्थान कर दिया। मार्ग में अर्जुन ने पुनः इस धनुष का आशीर्वाद लेकर अग्नि देव को सौंप दिया और मान्यता है कि इस धनुष को ब्रह्मा जी ने अपने पास रख लिया था।

अक्षय तरकश
महाभारत के युद्ध में प अर्जुन के पास एक ऐसा तरकश था जिसके बाण कभी खत्म नहीं होते थे। इसे अक्षय तरकश कहा जाता था। गांडीव धनुष के साथ-साथ अग्नि देव ने अर्जुन को अक्षय तरकश भी दिया था जो प्राणघातक बाणों से भरा रहता था।

देश की सबसे कठिन परीक्षा का पास करना चाहते हैं NEET AIR 1 टॉपर महेश कुमार

जून की गर्मी में भी राजस्थान में यहां नहीं चलती लू, यह है भट्ठी जैसे तपते राज्य का सबसे ठंडा इलाका

WTC जीत के बाद टेम्बा बावुमा ने दिया आलोचकों को करारा जवाब

Stars Spotted Today: येलो सूट में बेहद खूबसूरत लगीं काजोल,स्वरा भास्कर के बदले लुक को देख हैरान हुए लोग

South Actress Bride Look: किसी ने साउथ सिल्क साड़ी तो किसी ने लहंगे में लिए थे फेरे, ब्राइड बनकर चांद सी खिली थी ये एक्ट्रेस

बिहार के संवेदनशील जिलों में बाढ़ को लेकर तैयारियों की हुई समीक्षा; ACS प्रत्यय अमृत ने दिए SOP को लेकर निर्देश

Video: एक हफ्ते से फरार जेब्रा को पकड़ने के लिए मंगाया गया हेलीकॉप्टर, फिर जो हुआ देखकर खुली रह जाएंगी आंखें

IND vs NZ: न्यूजीलैंड के भारत दौरे के कार्यक्रम का बीसीसीआई ने किया ऐलान, ऐसा है वनडे और टी20 सीरीज शेड्यूल

साइप्रस, कनाडा और क्रोएशिया का दौरा करेंगे PM मोदी; G7 समिट में भी लेंगे हिस्सा

Papa Par Shayari: मैं ने देखा इक फ़रिश्ता बाप की परछाईं में.., दिल जीत लेगी पिता पर शायरी, पढ़ें पिता पर मशहूर शेर हिंदी में
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited