प्रेमानंद महाराज ने बताया देवों को प्रसन्न करने का सरल तरीका, हर मनोकामना होगी पूरी

Premanand Maharaj Tips To Please Bhagwan: वृंदावन वाले प्रेमानंद जी महाराज ने 4 ऐसे नियम बताएं हैं जिनका पालन करने से ईश्वर की विशेष कृपा तुरंत ही प्राप्त की जा सकती है। जानिए क्या हैं ये नियम।

ईश्वर की कृपा प्राप्त करने के लिए क्या करें
01 / 05

ईश्वर की कृपा प्राप्त करने के लिए क्या करें?

हर कोई चाहता है कि उस पर और उसके परिवार पर ईश्वर की विशेष कृपा सदैव बनी रहे। जिसके लिए व्यक्ति कई तरह के उपाय भी करता है। लेकिन जाने अनजाने में कोई न कोई ऐसी भूल हो जाती है जिससे ईश्वर की कृपा प्राप्त नहीं हो पाती। लेकिन प्रेमानंद महाराज जी ने 4 ऐसी बातें बताई हैं जिस पर ध्यान देने से आप ईश्वर को बड़ी ही सरलता से प्रसन्न कर सकते हैं। चलिए जानते हैं क्या हैं ये बातें।

इन वृक्षों को न काटें
02 / 05

इन वृक्षों को न काटें

प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि अगर ईश्वर की विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो पीपल के पेड़ और वट वृक्ष को कभी न काटें। क्योंकि पीपल के पेड़ को वासुदेव स्वरूप माना गया है। तो वहीं वट वृक्ष को भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। ऐसे में इन दोनों पेड़ों को काटना पाप के समान है। प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि इन वृक्षों का काटने वाले लोगों को नरक में भी स्थान नहीं मिलता।

ये काम कभी न करें
03 / 05

​ये काम कभी न करें

​प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि वृंदावन में किसी लता तक को भी नहीं काटना चाहिए। क्योंकि, यहां की हर एक लता राधारानी की सेवा में हैं। ऐसे में अगर एक लता की भी यदि कृपा हो जाए तो समझो राधा रानी की भी कृपा हो जाएगी।​

त्याग की भावना
04 / 05

त्याग की भावना

प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं मनुष्य अपने ईष्ट की प्राप्ति के लिए ऐसी चीजों का त्याग करता है जो उसके भक्ति के मार्ग में बाधा डालने का काम करती हैं। जिस चीज को खाने से भक्ति में बाधा आएं उसका त्याग करना ही बेहतर है। मनुष्य को भजन करते समय इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए। व्यक्ति को न तो भूत का चिंतन करना चाहिए और न ही भविष्य का। अपने वर्तमान का ख्याल रखते हुए पूजा करें। ऐसे करने से आपका भविष्य अच्छा रहेगा और ईश्वर भी प्रसन्न रहेंगे।

ईश्वर का ध्यान
05 / 05

ईश्वर का ध्यान

प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं जो लोग रोजाना भगवान की लीला करते हैं और उनका विचार विमर्श करते हैं औक उनके भजनों का गायन करते हैं। ऐसे लोगों को भगवान की शरण मिलती है।

End of Photo Gallery
Subscribe to our daily Newsletter!

© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited